अमेरिकी कवि शेल सिल्वरस्टाइन की एक कविता...
अगर-मगर-तगर : शेल सिल्वरस्टाइन
(अनुवाद : मनोज पटेल)
अगर-मगर-तगर
तीनों लेटे हुए थे धूप में
बातें करते हुए
जो किया होता उन्होंने अगर-मगर-तगर...
लेकिन भाग कर छिप गए
तीनों अगर-मगर-तगर
जब दिखाई दिया
एक नन्हा सा कर गुजर.
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वाह!
ReplyDeleteumda anuvaad
ReplyDeleteअद्भुत ! मूल पाठ भी दीजिए .
ReplyDeleteWoulda-Coulda-Shoulda
DeleteAll the Woulda-Coulda-Shouldas
Layin' in the sun,
Talkin' 'bout the things
They woulda coulda shoulda done . . .
But those Woulda-Coulda-Shouldas
All ran away and hid
From one little Did.
वाह!!!वाह!!!!!
ReplyDeleteकमाल का अनुवाद है.
ReplyDeleteबहुत बढ़िया अनुवाद है. ज़्यादातर लोगों को पसीना आ जाता ! "एक नन्हा-सा करगुज़र" ने मुशायरा लूट लिया.
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