Thursday, March 29, 2012

शेल सिल्वरस्टाइन : अगर-मगर-तगर

अमेरिकी कवि शेल सिल्वरस्टाइन की एक कविता...    

 
अगर-मगर-तगर : शेल सिल्वरस्टाइन 
(अनुवाद : मनोज पटेल) 

अगर-मगर-तगर 
तीनों लेटे हुए थे धूप में 
बातें करते हुए 
जो किया होता उन्होंने अगर-मगर-तगर...
लेकिन भाग कर छिप गए 
तीनों अगर-मगर-तगर 
जब दिखाई दिया 
एक नन्हा सा कर गुजर. 
               :: :: :: 

7 comments:

  1. अद्भुत ! मूल पाठ भी दीजिए .

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    1. Woulda-Coulda-Shoulda

      All the Woulda-Coulda-Shouldas
      Layin' in the sun,
      Talkin' 'bout the things
      They woulda coulda shoulda done . . .
      But those Woulda-Coulda-Shouldas
      All ran away and hid
      From one little Did.

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  2. बहुत बढ़िया अनुवाद है. ज़्यादातर लोगों को पसीना आ जाता ! "एक नन्हा-सा करगुज़र" ने मुशायरा लूट लिया.

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