आज पढ़ते हैं नोबेल पुरस्कार विजेता टॉमस ट्रांसट्रोमर को...
नीला मकान : टॉमस ट्रांसट्रोमर
(अनुवाद : मनोज पटेल)
चमकते सूरज वाली रात है. घने जंगलों में खड़ा मैं, दूर धुंधली-नीली दीवारों वाले अपने मकान की तरफ देखता हूँ. मानो अभी-अभी मेरी मृत्यु हुई हो और मैं एक नए कोण से अपने मकान को देख रहा होऊँ.
इसने अस्सी से भी अधिक गर्मियां झेली हैं. इसकी लकड़ी चार बार सुख और तीन बार दुख से रची-बसी है. मकान में रहने वाले किसी व्यक्ति की मृत्यु पर इसकी फिर से पुताई होती है. मृत व्यक्ति स्वयं भी पुताई करता है, बिना ब्रश के और भीतर से.
मकान से परे, खुला मैदान है. यहाँ कभी बगीचा हुआ करता था, अब झाड़-झंखाड़ उग आई है. घास-फूस के तोड़क, घास-फूस के मंदिर. शुभकामना सन्देश, खर-पतवार के उपनिषद, झाड़-झंखाड़ का जलदस्युओं का एक बेड़ा, घास-फूस के ड्रैगनों के सर, भाले-बल्लम, घास-फूस का एक साम्राज्य!
झाड़-झंखाड़ के इस बगीचे के उसपार बार-बार फेंके जाने वाले एक बूमरैंग की परछाईं फड़फड़ाती रहती है. इसका सम्बन्ध एक ऐसे व्यक्ति से है जो मुझसे बहुत पहले इस मकान में रहा करता था. वह लगभग एक बच्चा था. उससे एक आवेग आता है, एक विचार, संकल्प की तरह का एक विचार : "बनाओ... चित्रित करो..." जैसे वह अपनी नियति से बच निकलने के फेर में हो.
मकान किसी बच्चे के बनाए चित्र की तरह है. एक स्थानापन्न बचपना जो इसलिए विकसित हुआ क्योंकि किसी ने -- काफी पहले ही -- बच्चे बने रहने का अपना मिशन त्याग दिया. दरवाजा खोलो, अन्दर आ जाओ! यहाँ भीतर, छत पर अशांति और दीवारों में शान्ति है. पलंग के ऊपर सत्रह पालों वाली एक नाव की पेंटिंग लगी है, उसमें फुफकारती हुई लहरों के शिखर और ऎसी हवाएं भी हैं जिन्हें सुनहरा फ्रेम अटा नहीं पा रहा है.
यहाँ होना हमेशा समय से पहले होना होता है, चौराहों के पहले, अखण्डनीय विकल्पों के पहले. इस जीवन के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद! फिर भी मैं अन्य विकल्पों की कमी महसूस करता हूँ. सारे के सारे रेखाचित्र वास्तव में अस्तित्व में आना चाहते हैं.
सुदूर समुद्र में एक जलयान गर्मियों की रात के क्षितिज को फैला देता है. ओस के सूक्ष्मदर्शी शीशे में सुख और दुख दोनों बढ़ जाते हैं. सचमुच बिना जाने ही हम अंदाजा लगा लेते हैं; हमारे जीवन के पास एक सहायक नौका है जो खामोशी से दूसरे रास्ते पर जा रही है. जबकि टापुओं के पीछे सूर्य धधक रहा है.
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वाह........
ReplyDeleteबहुत बढ़िया...
truth is i did not understand, can you explain please.
ReplyDeletebahut badhiya .....
ReplyDeletehttp://jadibutishop.blogspot.com
ati sundar.
ReplyDeleteati sundar.
ReplyDeleteएक खोज..........
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