राबर्तो हुआरोज़ की एक और कविता...
राबर्तो हुआरोज़ की कविता
(अनुवाद : मनोज पटेल)
ऊपर की ओर ले जाने वाली सड़कें
कभी नहीं पहुंचतीं वहां.
नीचे की ओर ले जाने वाली सड़कें
हमेशा पहुँच जाती हैं वहां तक.
और फिर उन दोनों के बीच में भी होती हैं सड़कें.
मगर कभी न कभी हर सड़क
ऊपर की ओर ले जाती है या नीचे की ओर.
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.....और इसी चढते -उतरते रहने का नाम जिन्दगी है शायद ! अच्छी कविता !
ReplyDeleteबहुत खूब सुन्दर भावानुवाद मूल रचना का मजा .
ReplyDeletebahut khoob....
ReplyDeleteaur aaj tak ekdam sahi bhi...
ठीक जीवन की तरह...!
ReplyDeleteसुन्दर कविता! आभार!
बहुत कुछ कह जाती है ये रचना ...
ReplyDeleteकुछ सड़कें कहीं नहीं पहुचातीं...जीवन भर गोल गोल घुमाती ही रहती हैं. कविता अच्छी है...सड़कें भी जिन्हें मैं अभी रौंद के आयो हूँ...
ReplyDeleteसड़क का पूरा हिसाब-किताब रख दिया यहाँ!
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