अमेरिकी कवि चार्ल्स बुकावस्की की एक कविता...
पट्टा पहनना : चार्ल्स बुकावस्की
(अनुवाद : मनोज पटेल)
मैं रहता हूँ एक स्त्री और चार बिल्लियों के साथ
कभी हम सभी
रहते हैं मजे से.
कभी मुझे दिक्कत होती है
एक
बिल्ली से.
कभी-कभी दिक्कत होती है मुझे
दो
बिल्लियों से.
कभी
तीन से.
कभी-कभी तो दिक्कत होती है मुझे
सभी चारो
बिल्लियों
और
स्त्री से:
दस आँखें मुझे ताकती हुईं
जैसे कोई कुत्ता होऊँ मैं.
:: :: ::
:-)
ReplyDeleteinteresting!!!
आभार
ReplyDeleteसार्थक और सामयिक पोस्ट, आभार.
ReplyDeleteगज़ब कविता! आभार मनोज जी
ReplyDeleteसब एक तरफ़, और अकेला कवि, जिसे बारी-बारी से सभी लगभग शत्रु मानते हैं. कविता में स्थितियों पर से धीरे-धीरे पर्दा उठता है, अप्रत्याशित रूप से !
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