Sunday, March 25, 2012

पीट हाईन : अनानास की तरह होता है प्यार

पीट हाईन के कुछ और ग्रुक्स...   

 
पीट हाईन के ग्रूक  
(अनुवाद : मनोज पटेल) 

आत्मकेंद्रित 

हद दर्जे के 
आत्मकेंद्रित होते हैं लोग 
अपनी ही हांके जाएंगे वे 
जब मैं बता रहा होता हूँ अपने बारे में. 
               :: :: :: 

जैसा होता है प्यार 

अनानास की तरह 
होता है प्यार, 
मीठा और 
अपरिभाष्य. 
               :: :: :: 

बराबरी 

वह, जो   
इरादा बांधता है बराबरी का 
हमेशा आता है 
दूसरे स्थान पर. 
               :: :: :: 

ज़िंदगी का विरोधाभास 
दार्शनिक ग्रूक 

थोड़ा समझ से परे लगेगा यह 
मगर कभी-कभी लगता है मुझे 
कि दो ताला जड़े संदूकों जैसी होती है ज़िंदगी 
और हर एक में बंद रहती है दूसरे की चाभी. 
               :: :: :: 

8 comments:

  1. अच्छे ग्रूक्स !!

    "दो ताला जड़े संदूकों जैसी होती है जिंदगी
    और हरेक में बंद रहती है दूसरे की चाभी !

    आभार मनोज जी !

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  2. वाह............
    बेहतरीन...........

    खास तौर पर जिंदगी का विरोधाभास...

    शुक्रिया.

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  3. बहुत बढ़िया भाई जी |

    आभार ||

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  4. iraada baandhta hai jo barabari ka aata hai humesha doosre sthaan par...aise anubhav-janit vichaaron ke liye bahut saadhna hoga jeevan..umda..

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  5. कमाल की कविताएं हैं। छोटी-छोटी बातों को पूरी सहजता और संजीदगी से शब्दों में पिरोती हुई। बहुत-बहुत धन्यवाद।

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  6. "जैसा होता है प्यार" और " जिंदगी का विरोधाभास" अद्भुत कविताएं हैं. मुश्किल बातों को इतनी आसानी से कह पाना हरेक कवि के वश की बात नहीं.

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  7. Thode se sabd samuh badi2 sachaiyan ukerten hai jindgi ke-Waw...!

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