ईरानी फिल्मकार अब्बास कियारोस्तामी की कुछ कविताएँ...
अब्बास कियारोस्तामी की कविताएँ
(अनुवाद : मनोज पटेल)
गाँव के ऊपर
बिजली की गड़गड़ाहट
बाधा डालती है
कुत्ते के भूँकने में.
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एक औरत की गर्दन से
लटकती हुई चाभी
गिर जाती है बेआवाज़
धान के खेत में --
केतली में कुछ उबल रहा है चूल्हे पर.
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हल का फल गोड़ता है धरती को
और बैल को पता भी नहीं
क्यों दर्द करने लगी उसकी देह.
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समुद्र पर हो रही है बारिश --
और खेत हैं सूखे हुए.
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hamesha kuch naya... hamara samay nishchit taur par aapka kritagya hoga.... :)
ReplyDeleteबहुत मोहक क्षणिकाएँ !
ReplyDeleteसमुद्र पर हो रही है बारिश --
ReplyDeleteऔर खेत हैं सूखे हुए.
यही तो विडम्बना है... भरे हुए को ही और भरने का दस्तूर है यहाँ... अभाव अपनी किस्मत रोने को बाध्य है!
इन सुन्दर कविताओं के अनुवाद हेतु आभार!