कासिम हद्दाद की कुछ और कविताएँ...
कासिम हद्दाद की कविताएँ
(अनुवाद : मनोज पटेल)
जख्म से जूझना बेहतर है
चाकू से दोस्ती की बजाय
:: :: ::
सूअर भी होते हैं काम के
वे गीत गाते हैं कूड़ेदानों के
:: :: ::
देख रहा हूँ हवा को
यहाँ के झंडे से अठखेलियाँ करते,
जबकि लोग मर रहे हैं हवा के बिना.
:: :: ::
भविष्य को
विलोम कहा जाता है भूत का,
और हम रहते हैं अनन्त वर्तमान में.
:: :: ::
Manoj Patel, अरबी कविताएँ
वाह भइया।
ReplyDelete"देख रहा हूं हवा को
ReplyDeleteयहां के झंडे अठखेलियां करते
जब कि लोग मर रहे हैं हवा के बिना." यह कविता तो इस महादेश की कविता भी हो सकती है, इस मायने में कि यहां के हालात पर एकदम सटीक बैठती है. अन्य कविताएं भी मानीखेज़ हैं.
वाह!
ReplyDeleteवाह!!!
ReplyDeleteरचनाये और अनुवाद दोनों लाजवाब.........
dhanya hu'ae.
ReplyDeletedhanya hu'ae.
ReplyDelete