Saturday, March 10, 2012

कासिम हद्दाद की कविताएँ

कासिम हद्दाद की कुछ और कविताएँ...  

 
कासिम हद्दाद की कविताएँ 
(अनुवाद : मनोज पटेल)

जख्म से जूझना बेहतर है 
चाकू से दोस्ती की बजाय 
:: :: :: 

सूअर भी होते हैं काम के 
वे गीत गाते हैं कूड़ेदानों के 
:: :: ::  

देख रहा हूँ हवा को 
यहाँ के झंडे से अठखेलियाँ करते, 
जबकि लोग मर रहे हैं हवा के बिना. 
:: :: :: 

भविष्य को 
विलोम कहा जाता है भूत का, 
और हम रहते हैं अनन्त वर्तमान में. 
:: :: :: 
Manoj Patel, अरबी कविताएँ 

6 comments:

  1. "देख रहा हूं हवा को
    यहां के झंडे अठखेलियां करते
    जब कि लोग मर रहे हैं हवा के बिना." यह कविता तो इस महादेश की कविता भी हो सकती है, इस मायने में कि यहां के हालात पर एकदम सटीक बैठती है. अन्य कविताएं भी मानीखेज़ हैं.

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  2. वाह!!!
    रचनाये और अनुवाद दोनों लाजवाब.........

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