Monday, March 12, 2012

डब्लू. एस. मर्विन : जाना

डब्लू. एस. मर्विन की एक कविता...  

 
जाना : डब्लू. एस. मर्विन 
(अनुवाद : मनोज पटेल) 

केवल इंसान मानते हैं 
कि एक शब्द होता है खुदाहाफिज के लिए 
हर भाषा में होता है एक शब्द 
हमारे सीखे शुरूआती शब्दों में से एक 
यह बना होता है अभिवादन से 
मगर जा रहे होते हैं वे 
उठा हुआ हाथ, हिलता हुआ 
चेहरे, व्यक्ति, स्थान 
जीव-जन्तु, दिन 
और शब्द को पीछे छोड़ जाते हुए 
और उसे भी जो अभिप्राय था उस शब्द का. 
                    :: :: :: 

1 comment:

  1. शब्द और अभिप्राय यहीं पड़े रह जाते है ! वे तभी तक महत्वपूर्ण हैं जब तक हम हैं ! अच्छी कविता ,अच्छा अनुवाद !बधाई मनोज जी !

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