Saturday, March 24, 2012

चार्ल्स बुकावस्की : पट्टा पहनना

अमेरिकी कवि चार्ल्स बुकावस्की की एक कविता...   

 
पट्टा पहनना : चार्ल्स बुकावस्की 
(अनुवाद : मनोज पटेल) 

मैं रहता हूँ एक स्त्री और चार बिल्लियों के साथ 
कभी हम सभी 
रहते हैं मजे से.   

कभी मुझे दिक्कत होती है 
एक 
बिल्ली से.  

कभी-कभी दिक्कत होती है मुझे 
दो 
बिल्लियों से.  

कभी 
तीन से. 

कभी-कभी तो दिक्कत होती है मुझे 
सभी चारो 
बिल्लियों  

और 
स्त्री से: 

दस आँखें मुझे ताकती हुईं 
जैसे कोई कुत्ता होऊँ मैं. 
               :: :: ::  

5 comments:

  1. सार्थक और सामयिक पोस्ट, आभार.

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  2. गज़ब कविता! आभार मनोज जी

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  3. सब एक तरफ़, और अकेला कवि, जिसे बारी-बारी से सभी लगभग शत्रु मानते हैं. कविता में स्थितियों पर से धीरे-धीरे पर्दा उठता है, अप्रत्याशित रूप से !

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