Wednesday, April 11, 2012

राबर्तो हुआरोज़ की कविता

राबर्तो हुआरोज़ की एक और कविता...   

 
राबर्तो हुआरोज़ की कविता 
(अनुवाद : मनोज पटेल) 

एक लमहा आता है हमेशा 
जब तुम्हें सुस्ताना होता है आदमियों से 
जैसे गुलाब सुस्ताता है माली से 
या गुलाब से सुस्ताती है फुलवारी.  

जैसे पानी सुस्ताता है पानी से 
या आकाश से आकाश. 

जैसे कोई जूता सुस्ताता है अपने पैर से 
या उद्धारक अपनी सलीब से. 

जैसे रचयिता सुस्ताता है अपनी रचना से 
या अपने रचयिता से सुस्ताती है रचना. 
                    :: :: :: 

4 comments:

  1. लेकिन सुस्ताने के पहले है थकन
    और थकन के पहले है
    इत्मीनान भरा खाली वक्त !

    एक अच्छी कविता के अनुवाद और प्रस्तुतीकरण के लिए आभार !

    ReplyDelete
  2. सुन्दर कविता..जीवंत अनुवाद....सार्थक चयन..

    ReplyDelete
  3. सुन्दर कविता..जीवंत अनुवाद....सार्थक चयन..

    ReplyDelete

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...