अफ़ज़ाल अहमद सैयद की एक और कविता...
जिसका कोई इंतज़ार न कर रहा हो : अफ़ज़ाल अहमद सैयद
(लिप्यंतरण : मनोज पटेल)
जिसका कोई इंतज़ार न कर रहा हो
उसे नहीं जाना चाहिए वापस
आख़िरी दरवाज़ा बंद होने से पहले
जिसका कोई इंतज़ार न कर रहा हो
उसे नहीं फिरना चाहिए बेक़रार
एक ख़ूबसूरत राहदारी में
जब तक वह वीरान न हो जाए
जिसका कोई इंतज़ार न कर रहा हो
उसे नहीं जुदा करना चाहिए
ख़ून आलूद पाँव से
एक पूरा सफ़र
जिसका कोई इंतज़ार न कर रहा हो
उसे नहीं मालूम करनी चाहिए
फूलों के एक दस्ते की क़ीमत
या दिन, तारीख़ और वक़्त
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जिसका कोई इंतज़ार न कर रहा हो उसे होना ही नहीं चाहिए !
ReplyDeleteबढ़िया कविता ! आखिर अपने होने का कोई तो प्रयोजन हो !
आभार मनोज जी !
बहुत सुन्दर!
ReplyDeleteकोई इंतज़ार कर रहा हो... सच, ये कितना ज़रूरी है जीवन के लिए!
एक और नायाब कविता...इंतज़ार करना कठिन नहीं होता इतना जितना इंतज़ार का न रहना....
ReplyDeletesuperb!!!!!!!!!!!
ReplyDeleteanu
जिस का कोई इंतज़ार न कर रहा हो वह खुद किसी के इंतज़ार मे होता है
ReplyDeleteजिसका कोई इंतजार न कर रहा हो..वह कितना अकेला होता है...सुंदर अहसास !
ReplyDeletebahut sundar .. sundar avsaad ki kavita .
Deleteआरजू और इन्तजार ..इसके बिना जीवन कैसे कल्पित है ....सुन्दर कविता ..खालीपन का अवसाद
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