अफ़ज़ाल अहमद सैयद की एक और कविता...
जवाहरात की नुमाइश में शायर : अफ़ज़ाल अहमद सैयद
(लिप्यंतरण : मनोज पटेल)
जवाहरात की नुमाइश खुले आसमान के नीचे नहीं होती
शहर की सबसे खूबसूरत लड़की वहां नहीं आएगी
(वह फूलों की नुमाइश में गई है)
लोग उन कीमती पत्थरों और नुमाइश करने वाली लड़कियों को देखने आए हैं
जिन्हें शाहज़ादी कट लगा है
एक बड़े ज़मर्रुद को तीन लड़कियां
(जिन्हें शहर के रास्तों का पता नहीं)
माहिराना अंदाज़ से देख रही हैं
जो ओरिएंटल रूबी मुझे पसंद आया है
(तसव्वुर में उसे
बग़ैर आस्तीनों के स्याह लिबास वाली लड़की को पेश करने वाला हूँ)
उससे मुत्तसिल एक छोटी सी
"फ़रोख्त हो चुका है" की तख्ती पड़ी है
"पांच कैरेट के पत्थर को अट्ठारह पहलुओं में तराशना
ओपन हार्ट सर्जरी से ज़्यादा नाज़ुक है"
एक शख्स ग़ैर ज़रूरी तौर पर मुझे बताता हुआ गुज़र जाता है
सबसे अदना मोती के एवज
मैं हिसाब लगाता हूँ
आठ सौ बत्तीस आशरिया तीन तीन रोटियाँ मिल सकती हैं
नुमाइश के वस्त में
एक फ़रोशकार लड़की की मुस्कराहट मुझे रोक लेती है
"एक डायमण्ड हमेशा के लिए है"
उसने दोहराया
जैसे मेरी शायरी मिट जाने वाली चीज़ थी
जवाहरात की नुमाइश खुले आसमान के नीचे नहीं होती
शहर की सबसे खूबसूरत लड़की वहां नहीं आएगी
(वह फूलों की नुमाइश में गई है)
लोग उन कीमती पत्थरों और नुमाइश करने वाली लड़कियों को देखने आए हैं
जिन्हें शाहज़ादी कट लगा है
एक बड़े ज़मर्रुद को तीन लड़कियां
(जिन्हें शहर के रास्तों का पता नहीं)
माहिराना अंदाज़ से देख रही हैं
जो ओरिएंटल रूबी मुझे पसंद आया है
(तसव्वुर में उसे
बग़ैर आस्तीनों के स्याह लिबास वाली लड़की को पेश करने वाला हूँ)
उससे मुत्तसिल एक छोटी सी
"फ़रोख्त हो चुका है" की तख्ती पड़ी है
"पांच कैरेट के पत्थर को अट्ठारह पहलुओं में तराशना
ओपन हार्ट सर्जरी से ज़्यादा नाज़ुक है"
एक शख्स ग़ैर ज़रूरी तौर पर मुझे बताता हुआ गुज़र जाता है
सबसे अदना मोती के एवज
मैं हिसाब लगाता हूँ
आठ सौ बत्तीस आशरिया तीन तीन रोटियाँ मिल सकती हैं
नुमाइश के वस्त में
एक फ़रोशकार लड़की की मुस्कराहट मुझे रोक लेती है
"एक डायमण्ड हमेशा के लिए है"
उसने दोहराया
जैसे मेरी शायरी मिट जाने वाली चीज़ थी
:: :: ::
शाहज़ादी कट : हीरे को तराशने का एक प्रचलित तरीका
ज़मर्रुद : पन्ना, Emerald
मुत्तसिल : लगी हुई
फ़रोख्त : बेचा हुआ, बिक चुका
आशरिया : दशमलव
वस्त : बीच, मध्य
फ़रोशकार लड़की : सेल्सगर्ल
bahut khoobasoorat, badhai
ReplyDeleteकितने भी कीमती हों ये पत्थर लेकिन अफजाल अहमद सैयद की कविता से अधिक कीमती नहीं, जिसके लिए शहर की सबसे खूबसूरत लड़की भी खुले आसमान के नीचे आना चाहेगी !
ReplyDeleteबहुत बढ़िया......................
ReplyDeleteकुछ गुलज़ार साहब की त्रिवेणी की तरह.....जहाँ आखरी लाइन हैरान कर दे!!!!
लाजवाब!!!!
बहुत शुक्रिया मनोज साहब.
बहुत बढ़िया......................
ReplyDeleteकुछ गुलज़ार साहब की त्रिवेणी की तरह.....जहाँ आखरी लाइन हैरान कर दे!!!!
लाजवाब!!!!
बहुत शुक्रिया मनोज साहब.
वाह कितना अनोखा तरीका सच को कहने का...
ReplyDelete"डायमंड" के अक्सर दिखाए जाने वाले विज्ञापन : "एक डायमंड हमेशा के लिए है" को ध्यान में रखकर, एक बेहद खूबसूरत कविता बुनी गई है. इसकी अंतिम पंक्तियां : "उसने दोहराया
ReplyDeleteजैसे मेरी शायरी मिट जाने वाली चीज़ थी", न केवल कविता की जान हैं, बल्कि कविता के सामने तमाम जवाहरात के फीके पड़ जाने की आत्मविश्वासभरी घोषणा भी है.
jaise ki meri shayari mit jane wali cheez thi, kya baat hai. ye ek swabhavik atmvishwas hai jo har rachnakar me hona chahiye magar pata nahi kam kyon hota ja raha hai. baharhaal, sundar aur thaske wali kavita, bahut shukriya
ReplyDeletewakayee sundar aur thaske wali kavita.
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