अफ़ज़ाल अहमद सैयद की एक और कविता...
(लिप्यंतरण : मनोज पटेल)
मोहब्बत के एतिराफ़ में मिर्रीख़ के एक चाँद के आतिशफ़शां का नाम उस शख्स की महबूबा के नाम पर रख दिया गया जिसने वह और एक और चाँद दरियाफ़्त किया था, और जिसे मोहब्बत से कमतर जज़्बे परस्तिश की बिना पर एक असातीरी ख़ुदा से मंसूब किया गया. मगर हम दरगुज़र कर सकते हैं क्योंकि यह ख़ुदा मारा गया था. क़ाबिले इत्मीनान बात यह है कि पहली नाकाम परवाज़ करने वाले के नाम पर मिर्रीख़ के एक सैयारानुमा को बप्तिस्मा दिया गया है, और कायनात को बामानी बनाने के लिए कम अज़ कम एक शायर, एक नाविल निगार, एक मुसव्विर और एक मौसीक़ार के नाम से अतारद के ख़ित्ते मंसूब हुए. खूबसूरती की देवी, अफरोदेती, ज़ोहरा की सरज़मीं से सिर्फ एक ख़ित्ते की हाकिम है, जबकि मुबाशरत का ख़ुदा सैयारा नंबर 433 करार दिया गया, ख़ुदा-ए-हरमस से मंसूब सैयारानुमा, अफ़सोस है कि ज़मीन से हजार मीटर क़रीब आने के बाद कहीं खो गया. जो लोग पैसों से मोहब्बत करते हैं उन्हें यह जानकर ख़ुशी होगी कि रोमी टकसाल की देवी मिर्रीख़ के एक सैयारानुमा की हैसियत से गर्दिश कर रही है. कायनात में तमाम क़ाबिले ज़िक्र खुदा, जिनकी परस्तिश करने वाले ख़त्म हो गए या मार दिए गए, किसी न किसी महूर पर अपने पुरजलाल नामों के साथ हरकत में हैं. एक दिन कोई बहुत दूर दरियाफ़्त होने वाले सैयारानुमा का नाम हमारे ख़ुदा के नाम पर भी रख देगा.
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फ़लकीयात = अन्तरिक्ष विज्ञान, खगोल विद्या
एतिराफ़ = स्वीकृति
मिर्रीख़ = मंगल
आतिशफ़शां = ज्वालामुखी
दरियाफ़्त = खोज, अनुसंधान
परस्तिश = पूजा
असातीरी = मिथकीय
दरगुज़र = अनदेखा
परवाज़ = उड़ान
सैयारानुमा = उपग्रह, सेटलाईट
खित्ते = इलाके
मुसव्विर = चित्रकार, पेंटर
मौसीक़ार = संगीतज्ञ
अतारद = बुध
ज़ोहरा = शुक्र
मुबाशरत = काम, सम्भोग
oh.....
ReplyDeleteits difficult
:-(