Monday, April 30, 2012

अफ़ज़ाल अहमद सैयद : तुम्हारे बदन का तेहवार ख़त्म होने के बाद

अफ़ज़ाल अहमद सैयद की एक और कविता...  

 
तुम्हारे बदन का तेहवार ख़त्म होने के बाद : अफ़ज़ाल अहमद सैयद 
(लिप्यंतरण : मनोज पटेल) 

तुम्हारे बदन का तेहवार ख़त्म होने के बाद 
शबीहें और नक़ाबें 
उतार दी गईं 
आराइशी मेहराबें हट गईं 
और क़दमों के निशानात 
कुदाल से बराबर कर दिए गए 

तुम्हारे बदन का तेहवार ख़त्म होने के बाद 
सधाए हुए जानवरों को 
उनके मालिक वापस ले गए 
पेशगोई करने वालों को 
अपनी बात का मुआवज़ा मिल गया 
एक ख़ेमे में आग लग गई 
जिसे आंसुओं से बुझा दिया गया 

तुम्हारे बदन का तेहवार ख़त्म होने के बाद 
आइंदा ज़ियाफ़त का मुक़ाम  
तय किया गया 
एक नए जज़ीरे को जाने के लिए 
कश्तियों के रंग खरीदे गए 
और साहिल से 
मुर्दा आबी परिंदों को हटा दिया गया 
                    :: :: :: 

तेहवार  :  त्यौहार, उत्सव 
शबीहें  :  तस्वीरें 
आराइशी  :  सजावटी 
पेशगोई  : भविष्यवाणी 
आइंदा  :  आने वाला, भविष्य का 
ज़ियाफ़त  :  दावत 
जज़ीरा  :  द्वीप, टापू 
साहिल  :  किनारा, समुद्र तट 
आबी परिंदे  :  समुद्री पक्षी 

6 comments:

  1. उफ्फ़ !! दिल दहला देने वाली कविता ! पढ़कर सन्न रह गया हूँ ! बहुत..........

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  2. कई परतें हटाने पर कविता को समझी......
    बढ़िया...

    अनु

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  3. kavita bahut gahri hai............, sundar rachna ka behtreen anuvad.

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  4. bhaut hi shandar kavita ,,khash baat ye ki sabka hindi me arth bataya gaya jise arth jayda samjh me aayi

    aap ke is shandar blog ko mai follow kr reha hu
    http://blondmedia.blogspot.in/

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  5. बहुस्तरीय गहरी कविता जिसमें आग और आंसुओं का दरिया बहता है.

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