यानिस रित्सोस की एक और कविता...
जड़ता : यानिस रित्सोस
(अनुवाद : मनोज पटेल)
अकेला बैठा था वह कमरे के अँधेरे में सिगरेट पीता हुआ.
कुछ भी दिख नहीं रहा था. केवल उसके सिगरेट की चमक
धीरे-धीरे हरकत करती थी यदा-कदा, सावधानीपूर्वक,
जैसे वह कुछ खिला रहा हो किसी बीमार लड़की को
चांदी के एक चम्मच से, या जैसे इलाज कर रहा हो
किसी सितारे के जख्म का एक छोटे से नश्तर से.
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सिगरेट पीने और धुआं उठने की प्रक्रिया का काव्यात्मक चित्रण.
ReplyDeleteवाह............
ReplyDeleteबेहतरीन.....................
अनु
एक कलाकार की आँख वह देख लेती है जो आमतौर ओर नहीं देखा जाता ! अच्छी रचना !
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