ग्राउचो मार्क्स के नाम से जाने जाने वाले जूलियस हेनरी मार्क्स (२ अक्टूबर १८९० - १९ अगस्त १९७७) अमेरिकी हास्य कलाकार एवं अभिनेता थे. 'उसने कहा था' के क्रम में प्रस्तुत हैं आज उनके कुछ कोट्स...
उसने कहा था : ग्राउचो मार्क्स
(प्रस्तुति एवं अनुवाद : मनोज पटेल)
हालांकि आमतौर पर लोग इस बात को जानते हैं, पर मुझे लगता है कि यह जताने का समय आ गया है कि मैं बहुत कम उम्र में पैदा हो गया था.
मैंने तार भेजकर क्लब से कहा, "कृपया मेरा इस्तीफा मंजूर कर लें. मैं ऐसे किसी क्लब से नहीं जुड़ना चाहता जो मेरे जैसे शख्स को सदस्य के रूप में स्वीकार कर ले."
अपने सबसे अच्छे दोस्त की नाकामयाबी पर कोई भी पूरी तौर पर दुखी नहीं होता.
मेरे पास कोई तस्वीर नहीं है. मैं तुम्हें अपने पैरों के निशान देता हूँ, मगर वे ऊपर हैं, मेरे मोजों में.
टेलीविजन को मैंने बहुत शिक्षाप्रद पाया. जब भी कोई उसे चालू करता है मैं दूसरे कमरे में जाकर कोई कायदे की किताब पढ़ता हूँ.
न्याय के लिए सैन्य न्याय वही है जो संगीत के लिए सैन्य संगीत है.
अपने नाक-नक्श उसने अपने पिता से पाए हैं. वे एक प्लास्टिक सर्जन हैं.
ये मेरे सिद्धांत हैं, और यदि ये आपको पसंद नहीं... ठीक है, और भी हैं मेरे पास.
तुम्हारी किताब उठाते ही, जब तक मैंने उसे रख नहीं दिया, हँसते-हँसते मेरे पेट में बल पड़ गए. किसी दिन मैं उसे पढ़ने का भी इरादा रखता हूँ.
सुखी दाम्पत्य की चाह रखने वाले पति को अपना मुंह बंद रखना और चेकबुक खुली रखना सीख लेना चाहिए.
मुझे अपना सिगार पसंद है, मगर कभी-कभी मैं उसे अपने मुंह में से निकाल भी दिया करता हूँ.
अगर कोई काली बिल्ली तुम्हारा रास्ता काट जाए तो इसका मतलब है कि वह कहीं जा रही है.
यह चाहे जो हो, मैं इसके खिलाफ हूँ.
या तो यह आदमी मर चुका है या मेरी घड़ी बंद हो गई है.
मैं हर तरह के पूर्वाग्रहों से मुक्त हूँ. मैं सबसे एक बराबर नफरत करता हूँ.
विवाह एक अद्भुत संस्था है... मगर एक संस्था में रहना कौन चाहता है?
मैं छ और सालों तक लोलिता पढ़ना टाल दूंगा जब तक कि वह 18 की नहीं हो जाती.
अगली बार जब मैं तुमसे मिलूँ, याद दिला देना कि मुझे तुमसे बात नहीं करनी है.
अस्पताल का बिस्तर ऎसी खड़ी हुई टैक्सी की तरह होता है जिसका मीटर चल रहा हो.
इससे पहले कि मैं बोलूँ, मुझे कुछ जरूरी बात कहनी है.
हर सफल पुरुष के पीछे एक स्त्री होती है, और उस स्त्री के पीछे उसकी पत्नी.
सभी लोग एक जैसे पैदा होते हैं... सिवाय रिपब्लिकनों और डेमोक्रेटों के.
हँसो तो तुम्हारे साथ पूरी दुनिया हँसती है, रोओ तो शायद तुम गलत चैनल देख रहे हो.
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बहुत खूब, मनोज. मैंने भी पहले ग्राउचो मार्क्स का अनुवाद किया है.
ReplyDeletehttp://hindizen.com/2010/05/18/groucho-marx-says/
हर अंश लाजवाब है, जैसे कि ये-
ReplyDelete"सभी लोग एक जैसे पैदा होते हैं... सिवाय रिपब्लिकनों और डेमोक्रेटों के."
गजब ,मनोज जी ! कमालके कोटेशन्स हैं ! दिमाग ऊर्जा से भर उठा !
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार !
thank you!
ReplyDeleteQuotable quotes:)
ReplyDeleteवाह मजा आ गया मनोज जी
ReplyDeleteभरी उमस में तुम मनभावन बारिस की तरह ताजगी व स्फूर्ति बन आए मनोज भाई///आभार////
ReplyDeleteउमस भरे मौसम में बारिस बन।
ReplyDeleteखिला गये अन्तर्मन का उपवन।।
****आभार*मनोज भाई*****
मजेदार.....
ReplyDeleteमजेदार...:)
ReplyDeleteमनोज भाई.बहुत शुक्रिया.मार्क्स ब्रदर्स और वोर्नर ब्रदर्स के बिच का पत्र-व्यवहार याद आ गया.आप ने वो किताब पढ़ी ही होगी.... :)
ReplyDeleteBig Fan of Groucho.. seen every movie of his. I just want people to download and see what it intelligent humor. Internet has made us relive in the eras of Geniuses.
ReplyDeleteखरगोश का संगीत राग रागेश्री पर आधारित
ReplyDeleteहै जो कि खमाज थाट का सांध्यकालीन राग
है, स्वरों में कोमल निशाद और
बाकी स्वर शुद्ध लगते
हैं, पंचम इसमें वर्जित है,
पर हमने इसमें अंत में पंचम का प्रयोग भी किया है, जिससे इसमें राग बागेश्री भी झलकता है.
..
हमारी फिल्म का संगीत वेद नायेर ने दिया है.
.. वेद जी को अपने संगीत कि प्रेरणा जंगल में चिड़ियों कि चहचाहट से मिलती है.
..
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