Monday, July 23, 2012

डोनाल्ड हाल : मछलियों के लिए लोकतंत्र

अमेरिकी कवि डोनाल्ड हाल (जन्म : २० सितम्बर१९२८)  की एक कविता...   

 
हम लोकतंत्र ले आए मछलियों के लिए : डोनाल्ड हाल 
(अनुवाद : मनोज पटेल) 

यह अस्वीकार्य है कि मछलियाँ शिकार करती रहें एक-दूसरे का. 
उनकी सुविधा और सुरक्षा के लिए हम मुक्त कराएंगे उन्हें मत्स्यपालन के तालाबों में, 
निरापद और टिकाऊ सीमाओं वाले तालाब जो बाहर रखेंगे परभक्षियों को. 
हमारी देखभाल उन्हें उपलब्ध कराएगी स्वतंत्रता, स्वास्थ्य, खुशहाली और भोजन. 
ठीक है कि सभी प्राणी चाहते हैं उपयोगी महसूस करना 
तैयार होने के बाद मछलियों को पता चल जाएगा उनका मकसद.  
                                   :: :: ::  

कृपया डोनाल्ड हाल की इस कविता और बर्तोल्त ब्रेख्त की एक कहानी से प्रेरित दो मिनट से कम अवधि का यह वीडियो भी देखें. 

6 comments:

  1. unique....
    the poem and the video both...
    anu

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  2. हाँ यह सही तरीका है!सभ्य बना कर गुलाम बनाया जाना!

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  3. जबर्दस्त कविता ! बिगड़ी सूरत वाले नकली लोकतन्त्र के मुंह पर तमाचा है यह ! बहुत बहुत आभार ,मनोज जी !

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  4. करारा कटाक्ष

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  5. सटीक, क्रिएटिव, चोटदार.कविता भी,वीडियो भी. बहुत बहुत आभार मनोजभाई.

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  6. ये मछलियाँ औरतें भी हो सकती हैं.

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