Wednesday, July 11, 2012

हुदा अबलान की कविता

हुदा अबलान का जन्म १९७१ में यमन में हुआ. सना विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में मास्टर डिग्री. अब तक छः कविता संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं. यमनी राइटर्स यूनियन की महासचिव भी रह चुकी हैं.   

 
बुहारन : हुदा अबलान 
(अनुवाद : मनोज पटेल) 

उसके चले जाने के बाद 
उसका कुछ भी नहीं बचा मेरे पास
मेरे सिवाय 
:: :: :: 

6 comments:

  1. प्रेमिका और वह कहीं ना कहीं एक ही हैं.कविता में किसी का चले जाना उसके बने रहने को भी दिखाता है.

    ReplyDelete
  2. .
    कभी कभी तो इतना भी नहीं बचाता किसी के चले जाने के बाद !
    खूबसूरत कविता ! आभार !

    ReplyDelete
  3. कहने का ढंग विशिष्ट है. जो बचा है, कुछ दिन बाद वह भी खत्म हो जाएगा, जो बचा है वह भी नहीं बचेगा. पर, आज के लिहाज़ से बात ज़ोरदार है.

    ReplyDelete
  4. अशब्द छोड़ दिया इस रचना ने.मिसिर जी की बात भी सही है.बिंदु में सरिता दर्शन.....!! शुक्रिया हुदा अबलान.शुक्रिया मनोज भाई.

    ReplyDelete
  5. वो हममें बसा रहा तो सबको सबकुछ बचा रहा...
    इन तीन पक्तियों में तो सारा जीवन समा गया है। बेमिशाल...

    ReplyDelete

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...