बोस्नियाई कवि इज़त सरजलिक की एक और कविता...
मेरे जख्मी होने के बाद : इज़त सरजलिक
(अनुवाद : मनोज पटेल)
उस रात मैंने सपना देखा
कि स्लोबोदान मारकोविक आए मेरे पास,
मेरे जख्मों की खातिर माफी मांगने के वास्ते.
किसी सर्ब की तरफ से अभी तक का
इकलौता माफीनामा है वह.
और वह आया एक सपने में,
वह भी एक मृत कवि की तरफ से.
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गजब है .........एक मरे हुए कवि ही इतनी सदाशयता दिखा सका !गहरा कटाक्ष सर्बों पर ! आभार इस जबर्दस्त कविता के लिए ,मनोज जी !
ReplyDeleteवाकई....जबरदस्त कविता....
ReplyDeleteशुक्रिया मनोज जी.
अनु
बहुत ही शानदार कविता. जो लोग युगोस्लाविया की बहुलतावादी संस्कृति के त्रासद टकराव और विखराव से परिचित हैं वे इस कविता का मर्म समझ सकते हैं. स्लोवोदान मर्कोविक ने भी मरने से कुछ दिन पहले एक कविता लिखी थी मनोज भाई. कभी उसका भी अनुवाद करे, जिसमें वो कहता है कि मेरे मरने के बाद जब आयेंगे तो वे हथियार और खजाना उठा ले जायेंगे और अपनी उद्धतता के मारे भूल जायेंगे ज्योति-पुंज उठाना, कुछ ऐसे ही था.
ReplyDeleteधन्यवाद.
मिसिर जी की प्रतिक्रिया के साथ मेरे भी दस्तखत. शुक्रिया मनोजभाई.
ReplyDeleteदेश की तरफ से सामूहिक गुनाहों की माफ़ी कोई कवि ही मांग सकता है
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