उलाव हाउगे की एक और कविता...
मैं बहा जा रहा हूँ : ऊलाव हाउगे
(अनुवाद : मनोज पटेल)
मैं बहा जा रहा हूँ, हवा से
हांका जाता, लहरों से हांका जाता.
एक लठ्ठे पर सवार हो गया हूँ किसी तरह,
और गर्वित हूँ कि नक्काशीदार है वह.
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ह ह ह ह ....... क्या बात है ! जोरदार व्यंग ! सुंदर अनुवाद !बधाई मजोज जी !
ReplyDeleteवाह........
ReplyDeleteबहुत खूब.....
मनोज जी आपका शुक्रिया.....सागर से मोती चुन चुन लाते हैं...
अनु
नाव का अद्भुत चित्रण.कितनी भी सुन्दर हो बनी तो लकड़ी से है.
ReplyDeleteखूबसूरत.
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