Tuesday, July 17, 2012

जैक एग्यूरो : प्याज

जैक एग्यूरो की एक और कविता...   

 
प्याज के लिए प्रार्थना : जैक एग्यूरो 
(अनुवाद : मनोज पटेल) 

प्रभु, 
धन्यवाद आपको प्याज के लिए. 
खुद के सिवाय किसी और चीज की नहीं बनी यह, 
बार-बार. 

इतनी खुद के जैसी होती है प्याज 
कि हर कोई चाहता है इसे 
अपनी दावतों में. 

गाजरें, गोभी, मिर्चियाँ, 
आमलेट, स्ट्यू, सूप, 
सभी कहते हैं, "हैलो प्याज 
कितना अच्छा कि तुम आई, 
खुशी हुई तुम्हें देखकर." 

और भगवन, 
इतनी अच्छी होती है प्याज 
कि जब काम करता हूँ इसके साथ, 
रोता हूँ मैं. 
            :: :: ::  

5 comments:

  1. What a beautiful poetry on a totally non poetic thing.

    anu

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  2. "धन्यवाद आपको प्याज़ के लिए
    खुद के सिवाय किसी और चीज़ की नहीं बनी यह... रोता हूं मैं."
    सबने देखा है प्याज़ को, और जाना है उसके महत्त्व को भी, पर लिखा किसी ने नहीं इतना सुंदर.

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  3. वाह.प्याज जैसी परतदार कविता.

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  4. सरिता जी ने सही कहा----परतदार रचना है यह.

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