जैक एग्यूरो की एक और कविता...
प्याज के लिए प्रार्थना : जैक एग्यूरो
(अनुवाद : मनोज पटेल)
प्रभु,
धन्यवाद आपको प्याज के लिए.
खुद के सिवाय किसी और चीज की नहीं बनी यह,
बार-बार.
इतनी खुद के जैसी होती है प्याज
कि हर कोई चाहता है इसे
अपनी दावतों में.
गाजरें, गोभी, मिर्चियाँ,
आमलेट, स्ट्यू, सूप,
सभी कहते हैं, "हैलो प्याज
कितना अच्छा कि तुम आई,
खुशी हुई तुम्हें देखकर."
और भगवन,
इतनी अच्छी होती है प्याज
कि जब काम करता हूँ इसके साथ,
रोता हूँ मैं.
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What a beautiful poetry on a totally non poetic thing.
ReplyDeleteanu
"धन्यवाद आपको प्याज़ के लिए
ReplyDeleteखुद के सिवाय किसी और चीज़ की नहीं बनी यह... रोता हूं मैं."
सबने देखा है प्याज़ को, और जाना है उसके महत्त्व को भी, पर लिखा किसी ने नहीं इतना सुंदर.
बिल्कुल अलग ..
ReplyDeleteएक नजर समग्र गत्यात्मक ज्योतिष पर भी डालें
वाह.प्याज जैसी परतदार कविता.
ReplyDeleteसरिता जी ने सही कहा----परतदार रचना है यह.
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