Wednesday, July 18, 2012

ऊलाव हाउगे : इन्द्रधनुष

ऊलाव हाउगे की एक और कविता...   

 
इन्द्रधनुष : ऊलाव हाउगे 
(अनुवाद : मनोज पटेल) 

पुल के ऊपर पुल --
तीन इन्द्रधनुष!
हम कहाँ जाने वाले हैं, 
क्या सोच सकती हो तुम? 

पहला तो बिलाशक 
ले जाता है जन्नत को, 
और दूसरा जाकर ख़त्म होता है 
पाले और बर्फ में. 

और तीसरा? यह 
इधर चला आया 
इस बगीचे में 
मेरे और तुम्हारे साथ! 
:: :: :: 

8 comments:

  1. और जो चला आया है मेरे और तुम्हारे साथ ,हमारी जिंदगी में रंग भरने के लिए ,उसिपर चलना कोहा हमें !
    सुंदर कविता !आभार !

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  2. वाह........
    इससे खूबसूरत कुछ हो सकता था क्या???

    अनु

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  3. जन्नत और पाले में जाने वाले नहीं बल्कि मन में खिलने वाला इन्द्रधनुष हमारे साथ रहता है.

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  4. ओह....!! बहुत सुन्दर-

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  5. kavitayen padhkar apane bheetar utarate hi chale gaye ..

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