Monday, April 16, 2012

वेरा पावलोवा : कवि से ज्यादा


रूसी कवियत्री वेरा पावलोवा की नोटबुक से तीन अंश आप  यहाँ  और  यहाँ  और  यहाँ  पढ़ चुके हैं. प्रस्तुत है एक और अंश...  


वेरा पावलोवा की नोटबुक से 
(अनुवाद : मनोज पटेल) 

ब्राडस्की: "गद्य पैदल सेना है, कविता वायु सेना." मैं इतना जोड़ूंगी: अनुवादक एक पैराशूटधारी सैनिक होता है, एक ख़ास सैनिक. 
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एक युवा कवि के पत्र से: "मैं तब लिखता हूँ जब मुझे बुरा महसूस होता है. अच्छा महसूस करने पर मैं नहीं लिखता." मेरे साथ इसका उल्टा है: जब मैं लिखती हूँ तो मुझे अच्छा महसूस होता है. जब नहीं लिखती तो मुझे बुरा महसूस होता है. 
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सफाई-पसंदगी पहचान को मिटा देती है. क की बीवी इतनी अधिक बार अपने हाथ धुलती थी कि आखिरकार उसकी उँगलियों के निशान पड़ना ही बंद हो गए. 
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पाठक: क्या आप चाहते हैं कि आपकी कविताओं में मैं अपनी दिन-प्रतिदिन की दुनिया की शिनाख्त करूँ? 
कवि:   नहीं, मैं चाहता हूँ कि कविता से अपनी नजर हटाने के बाद आपको अपनी दुनिया अपरिचित सी लगने लगे. 
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पाठक: येवतुशेंको का कहना है कि रूस में एक कवि, सिर्फ एक कवि से कुछ ज्यादा होता है. क्या यह सच है? 
कवि: नहीं, एक कवि से ज्यादा और कुछ नहीं हो सकता. 
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जब एक सच्चे कवि की मृत्यु होती है तब हमें एहसास होता है कि उसकी सारी कविताएँ मृत्यु के बारे में थीं. 
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मैं अपनी सारी कविताओं को जानती हूँ. बस इतना है कि कुछ की सुध मुझे आ चुकी है और कुछ की नहीं. 
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(जारी...) 

14 comments:

  1. शुक्रिया..................
    इस पोस्ट के लिए..
    हर पोस्ट के लिए.....

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  2. वेरा की डायरी अद्भुत रत्नों का खजाना है ! इस सराहनीय प्रस्तुति के लिए आभार !

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  3. अद्भुत! एक भी अतिरिक्त शब्द "अद्भुत" के अर्थ में कटौती कर देगा.

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  4. कवि और कविता पर चिंतन मनन.

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  5. एक खास सैनिक को सैल्यूट.........!!

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  6. एक खास सैनिक को सैल्यूट.........!!

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  7. हर वचन अपने आप में अनोखा है...आभार!

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