Monday, April 23, 2012

अफ़ज़ाल अहमद सैयद : जिसका कोई इंतज़ार न कर रहा हो

अफ़ज़ाल अहमद सैयद की एक और कविता... 

 
जिसका कोई इंतज़ार न कर रहा हो : अफ़ज़ाल अहमद सैयद 
(लिप्यंतरण : मनोज पटेल) 

जिसका कोई इंतज़ार न कर रहा हो 
उसे नहीं जाना चाहिए वापस 
आख़िरी दरवाज़ा बंद होने से पहले 

जिसका कोई इंतज़ार न कर रहा हो 
उसे नहीं फिरना चाहिए बेक़रार 
एक ख़ूबसूरत राहदारी में 
जब तक वह वीरान न हो जाए 

जिसका कोई इंतज़ार न कर रहा हो 
उसे नहीं जुदा करना चाहिए 
ख़ून आलूद पाँव से 
एक पूरा सफ़र 

जिसका कोई इंतज़ार न कर रहा हो 
उसे नहीं मालूम करनी चाहिए 
फूलों के एक दस्ते की क़ीमत  
या दिन, तारीख़ और वक़्त  
                  :: :: :: 

8 comments:

  1. जिसका कोई इंतज़ार न कर रहा हो उसे होना ही नहीं चाहिए !

    बढ़िया कविता ! आखिर अपने होने का कोई तो प्रयोजन हो !
    आभार मनोज जी !

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  2. बहुत सुन्दर!
    कोई इंतज़ार कर रहा हो... सच, ये कितना ज़रूरी है जीवन के लिए!

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  3. एक और नायाब कविता...इंतज़ार करना कठिन नहीं होता इतना जितना इंतज़ार का न रहना....

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  4. जिस का कोई इंतज़ार न कर रहा हो वह खुद किसी के इंतज़ार मे होता है

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  5. जिसका कोई इंतजार न कर रहा हो..वह कितना अकेला होता है...सुंदर अहसास !

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  6. आरजू और इन्तजार ..इसके बिना जीवन कैसे कल्पित है ....सुन्दर कविता ..खालीपन का अवसाद

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