Thursday, April 12, 2012

ओरहान वेली : अप्रैल

तुर्की कवि ओरहान वेली की एक कविता...  

 
अप्रैल : ओरहान वेली 
(अनुवाद : मनोज पटेल) 

नामुमकिन है 
कविताएँ लिखना 
गर आप गिरफ्तार हों मुहब्बत में 
और न लिखना 
गर महीना हो अप्रैल का. 
            :: :: :: 

3 comments:

  1. इलियट भी अप्रैल को "क्रूरतम महीना" (April is the cruellest month) कह चुके थे. पर यहां बड़ा फ़र्क़ यह है कि "मोहब्बत में गिरफ़्तार" होने पर भी कविता न लिख पाने की असामर्थ्य को भी रेखांकित किया गया है. बहुत सही बात लगती है यह क्योंकि कविता तो उस स्थिति से बाहर निकलकर ही संभव हो सकती है.

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  2. मोहब्बत की गिरफ़्त मे होने पर हर महीना अप्रैल जैसा क्रूरतम है.जब होते हैं तो उसे लिखें कैसे.यह तो पहले या बाद की प्रक्रिया है.

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  3. vaise bhi jo kavita likhi jati hai vo kewal kavita ki parchhayin bhar hi to hoti hai kavita poori ki poori kahan utar pati hai kagaz par aur prem kavita to...

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