Wednesday, July 4, 2012

मनीषा कुलश्रेष्ठ की तीन कविताएँ


सुपरिचित कवि, कथाकार मनीषा कुलश्रेष्ठ की कविताएँ आप इस ठिकाने पर पहले भी पढ़ चुके हैं. आज प्रस्तुत हैं उनकी तीन कविताएँ...    














ममीफिकेशन 

यह मेरा अंतस है 
पिरामिड नहीं नेफरटिटी का 
हर प्रेम को 
दोस्ती के अमरत्व का लेप दे 
'कभी कुछ काम आ सकूँ तो.. बताना' 
की लम्बवत पट्टियों में 
लपेट कर रख दूँ 
एक कतार से 
:: :: :: 

पतंग / सम्बन्ध 

यूँ भी जिन ऊँचाइयों पर 
पहुँचाया था इसे हमने 
उड़ाया था हवा के प्रवाह के विरुद्ध 
ढील और तनाव दे-दे कर 
उस ऊँचाई पर 
तो 
कट ही सकता था 
यह पतंग / सम्बन्ध 
दोस्ती की छत पर 
इसे उतारा जा सकता, नहीं था 
:: :: :: 

फ्रेम 

मर गई अगर तितली 
फूल पर बैठे-बैठे 
अपनी जीवंतता की अदा में 

मत पकड़ो उसे पंख से 
पंख रंग छोड़ देंगे 
तुम्हारी उँगलियों के पोर पर 
इसे गिर कर 
मिट्टी में मिल जाने दो 

मत करो फ्रेम 
उसका ये प्रेम 
दोस्ती के फ्रेम में 
:: :: :: 

16 comments:

  1. ममिफिकेशन और सबंध फ्रेम आदि कविताये पढि धन्यबाद

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  2. मनीषा जितनी अच्‍छी कथाकार हैं, उतनी ही बेहतरीन कवि भी... उनकी रचनाओं की बुनावट इस कदर सघन और संवेदनाओं से पगी होती हैं कि बहुत देर तक हमारा पीछा करती रहती हैं और अंतत: हमारे अवचेतन में गहरे पैठ जाती हैं, हमेशा के लिए।

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  3. 'फ्रेम' रोमांचक अनुभूति से दहला देने वाली कविता। रचनाकार को बधाई और 'पढ़ते पढ़ते' का आभार..

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  4. उत्कृष्ट पोस्ट |
    बधाई ||

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  5. बहुत सुन्दर.......

    शुक्रिया

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  6. सुन्दर कविताएँ .. फ्रेम कविता दिल को छू गयी ....

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  7. मनीषा की प्रेम कविताएं कलेवर में छोटी होते हुए भी प्रेमी मन की जिद्दी सघनता को बखूबी सामने ले आतीं हैं...वे अपने होने का अहसास कराती हैं और दोस्ती के सामान्यीकरण से प्रेम के वैशिष्ट्य को अलगाती हैं...मनीषा इस तरह प्रेम के आवेश को अभिव्यक्त करती हैं बीलकुल अपने आस पास की भाषा में अपने रोजमर्रा के अनुभव खंड में ..

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  8. पतंग कविता बहुत सुन्दर है !

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  9. मनीषा जी की कविताएं उनकी कहानियों की तरह ही बढियां हैं. बधाई.

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  10. मनीषा जी को धन्यवाद. और मनोज भाई आप को यह रचना यहाँ पेश करने के लिए धन्यवाद. बहुत निराला कुछ पढ़ने मिला.

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