Saturday, July 14, 2012

इज़त सरजलिक : दूरी बनाकर रखने का सिद्धांत

बोस्नियाई कवि इज़त सरजलिक की एक और कविता...   

 
दूरी बनाकर रखने का सिद्धांत : इज़त सरजलिक 
(अनुवाद : मनोज पटेल) 

दूरी बनाकर रखने का सिद्धांत 
खोजा गया था पश्च-लेखों के लेखकों द्वारा, 
उन लोगों द्वारा जो कुछ भी नहीं लगाना चाहते दांव पर. 

मैं खुद उन लोगों में से हूँ 
जो मानते हैं कि 
सोमवार को आपको बात करनी होगी सोमवार की, 
क्योंकि मंगलवार तक, बहुत देर हो चुकी हो शायद. 

सच है, बहुत मुश्किल होता है 
बैठकर कविताएँ लिखना कोठरी में, 
जब मोर्टार फट रहे हों आपकी खोपड़ी के ऊपर. 

सिर्फ कविताएँ न लिखना ही मुश्किल होता है उससे ज्यादा.  
                        :: :: :: 

8 comments:

  1. ahut mushkil hota hai kavita likhna us waqt aur uss se zyada mushkil hota hai kavita na likhna..waah..adbhut soch..

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  2. सच है बहुत मुश्किल होता है
    बैठकर कवितायेँ लिखना कोठरी में,
    जब मोर्टार फट रहे हों आपकी खोपड़ी के ऊपर
    ...
    सिर्फ़ कवितायेँ न लिखना ही मुश्किल होता है उससे ज्यादा !

    मनोज जी विश्व साहित्य खासकर कविता को हिंदी भाषी पाठकों तक पंहुचाने के लिए आपके द्वारा किये गए काम को हिंदी प्रेमी समाज कभी नहीं भूलेगा |
    हृदय से आभार आपका !

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  3. ये बोस्नियाई कवि तो लाजबाब है मित्र...

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  4. बहुत खूब............
    कविता न लिखना मुश्किल तो होगा....मन उलझाना जो है..
    बेहतरीन....

    अनु

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  5. वाह....अंतिम पंक्ति में सारा निचोड़ आ गया....!!

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  6. कविताओं के कई आयाम खोलती है यह कविता।

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  7. युद्ध के वक्त मन इतना व्याकुल होता है कि लिखना जरूरी हो जाता है.बाद में कुछ कर लेने की सम्भावना ही नहीं होती.

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  8. कविता लिखना ,कविता न लिखना ,सब मुश्किल हो जाता है जब मोर्टर फट रहे हों सिर के ऊपर ! जो ठीक समय पर अपनी ज़िम्मेदारी न समझना चाहते हैं और न निभाना ,उनके लिए सब मुश्किल ही होता है !

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