Saturday, January 7, 2012

येहूदा आमिखाई : यह पवनचक्की कभी आटा नहीं पीसती

येहूदा आमिखाई की एक और कविता... 

 

येमिन मोश की पवनचक्की : येहूदा आमिखाई 
(अनुवाद : मनोज पटेल)

यह पवनचक्की कभी आटा नहीं पीसती. 
यह पीसती है पवित्र हवा और लालसा से भरे 
बियालिक के पक्षियों को, यह शब्दों को पीसती है 
और समय को, यह बारिश को पीसती है 
और यहाँ तक कि सीपियों को भी 
मगर यह कभी आटा नहीं पीसती. 

अब इसने खोज निकाला है हमें, 
और पीसे जा रही है हमारी ज़िंदगी दिन ब दिन 
अमन का आटा बना रही है हमें पीसकर 
हमें पीसकर बना रही है अमन की रोटी 
आने वाली पीढ़ियों के लिए. 
                    :: :: :: 
येमिन मोश : येरुशलम का एक मोहल्ला 
बियालिक के पक्षी : यहूदी कवि बियालिक की पहली कविता 'टू द बर्ड' का सन्दर्भ 
Manoj Patel, Tamsa Marg, Akbarpur, Ambedkarnagar, (U.P.) Pincode : 224122, Mobile : 9838599333   

2 comments:

  1. आने वाले पीढ़ियों के लिए कवि की प्रतिबद्धता... कविता का प्राकट्य, प्रणम्य है!
    सुन्दर!

    ReplyDelete
  2. ये पवनचक्की तो अपने यहाँ भी यही कर रही है।

    ReplyDelete

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...