राबर्टो जुअर्रोज़ की 'सिक्स्थ वर्टिकल पोएट्री' से एक कविता...
राबर्टो जुअर्रोज़ की कविता
(अनुवाद : मनोज पटेल)
घंटी भरी है हवा से
मगर बजती नहीं वह.
उड़ान से भरी है चिड़िया
मगर गतिहीन है वह.
आसमान भरा है बादलों से
मगर वह है अकेला.
वाणी से भरा है शब्द
मगर कोई बोलता नहीं उसे.
हर चीज भरी है भागने से
मगर नहीं है कोई सड़क.
हर चीज भाग रही है
अपनी मौजूदगी की तरफ.
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Manoj Patel, Parte Parte, Parhte Parhte, Padte Padte
बहुत सुन्दर...
ReplyDeleteहर चीज भरी है भागने से
ReplyDeleteमगर नहीं है कोई सड़क। ... ... ... लाजवाब!
रहस्यमय ...पर गूढ़ ....!!!!
ReplyDeleteआज के चर्चा मंच पर आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति
Deleteका अवलोकन किया ||
बहुत बहुत बधाई ||
हर चीज़ भागती है ,मगर नहीं है कोई सड़क ...सुन्दर भावानुवाद असल ही लगता है नक़ल नहीं .
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