नाओमी शिहाब न्ये की एक कविता...
बारिश : नाओमी शिहाब न्ये
(अनुवाद : मनोज पटेल)
पॉल से एक शिक्षिका ने पूछा
कि तीसरी कक्षा की कौन सी बात
याद रखेगा वह, और जवाब लिखने के पहले
वह बहुत देर तक बैठा सोचता रहा
"किसी ने मेरे कन्दों पे
माला था इस साल"
और जमा कर दिया अपना पर्चा.
बाद में उस शिक्षिका ने मुझे वह पर्चा दिखाया
अपनी बेकार सी ज़िंदगी की मिसाल के तौर पर.
बड़े-बड़े शब्द लिखे थे उसने
जैसे किसी भूदृश्य में मकान.
वह भीतर जाकर रहना चाहता था
उन मकानों के, भर सकता था
"क" और "म" की खिड़कियाँ
ताकि वह सुरक्षित रहे जबकि बाहर
निकास पाइपों में घोंसले बना रही चिड़ियों को
पता भी नहीं था आने वाली बारिश के बारे में.
:: :: ::
Manoj Patel, Tamsa Marg, Akbarpur, Ambedkarnagar, Mobile : 09838599333
बहुत गहरी बात कही है-
ReplyDeleteनिकास पाइपों में घोंसले बना रही चिड़ियों को
पता भी नहीं था आने वाली बारिश के बारे में.
अच्छी कविता का बेहतरीन अनुवाद...
ReplyDeleteशुक्रिया.
'निकास पाइपों में घोंसले बना रही चिड़ियों को / पता भी नहीं था आने वाली वारिस के बारे में,' और वह खुश है की वह सुरक्षित रह सकता है. वाह!
ReplyDeleteवाह!
ReplyDelete