एदुआर्दो गैल्यानो की किताब 'मिरर्स' से एक और कहानी...
ताजमहल : एदुआर्दो गैल्यानो
(अनुवाद : मनोज पटेल)
सत्रहवीं शताब्दी में हिन्दुस्तान और चीन के कारखाने पूरी दुनिया में निर्मित वस्तुओं में से आधे का उत्पादन करते थे.
शानोशौकत के उन्हीं दिनों में बादशाह शाहज़हां ने यमुना नदी के किनारे अपनी प्यारी बेगम का मकबरा, ताजमहल बनवाया.
वह औरत और उसका मकबरा एक ही जैसे थे, उस मकबरे में दोनों ही दिन या रात के वक़्त के हिसाब से बदलते रहते थे.
ताजमहल का नक्शा उस्ताद अहमद लाहौरी ने बनाया था जो एक ईरानी वास्तुकार एवं ज्योतिषी थे तथा जिन्हें और भी कई नामों से जाना जाता था. लोग बताते हैं कि ताजमहल को बनाने के लिए बीस हजार मजदूरों ने बीस साल तक काम किया था. इसे बनाने के लिए सफ़ेद संगमरमर, लाल रेत, हरा पत्थर, और फीरोजा बहुत दूर से एक हजार हाथियों से मंगवाए गए थे.
लोग कहते हैं, क्या पता? शायद वह भारहीन खूबसूरती, वह तैरती हुई सफेदी हवा की बनी हुई थी.
सन २००० के आखिर में एक हक्की-बक्की भीड़ के सामने हिन्दुस्तान के सबसे मशहूर जादूगर ने इसे दो मिनट के लिए गायब कर दिया था.
बकौल पी सी सरकार जूनियर यह उनके जादू का कमाल था :
"मैनें इसे गायब कर दिया था," उन्होंने कहा था.
उन्होंने उसे गायब कर दिया था, या उसे हवा को वापस कर दिया था?
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Manoj Patel, Mobile : 09838599333
वाह...
ReplyDeleteबहुत बढ़िया...
तैरती हुई सफ़ेद..हवा की बनी चीज़...ताज.
excellent...
खूब-सूरत प्रस्तुति |
ReplyDeleteबहुत-बहुत बधाई ||
औरत और उसका मकबरा दोनों खूबसूरत ......वाकई .....खूबसूरत ........!!!
ReplyDeleteइस पोस्ट के लिए आपका बहुत बहुत आभार - आपकी पोस्ट को शामिल किया गया है 'ब्लॉग बुलेटिन' पर - पधारें - और डालें एक नज़र - लोहडी़ और मकर सक्रांति की हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनाये - ब्लॉग बुलेटिन
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