जिबिग्न्यु हर्बर्ट की तीन गद्य कविताएँ...
जिबिग्न्यु हर्बर्ट की तीन गद्य कविताएँ
(अनुवाद : मनोज पटेल)
शहजादी
शहजादी को जो बात सबसे ज्यादा पसंद है, वह है मुंह के बल फर्श पर लेट जाना. फर्श से धूल, मोम और खुदा जाने किस-किस चीज की गंध आती रहती है. शहजादी दरारों में अपना खजाना छुपाया करती है -- एक लाल मूंगे की माला, चांदी की एक लड़ी, इसके अलावा कुछ और जो मैं आपको बता नहीं सकता क्योंकि मैनें एक कसम खाई है.
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शराबी
शराबी ऐसे लोग होते हैं जो एक घूँट में ही तलछट तक पी जाते हैं. मगर वे झिझकते इसलिए हैं क्योंकि तलछट में वे फिर से खुद को देख लेते हैं. बोतल के कांच से वे बहुत दूर के ग्रहों को देखते हैं. यदि वे थोड़ा मजबूत खोपड़ी और थोड़ा बेहतर रूचि वाले होते, तो वे खगोलशास्त्री होते.
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बौने
बौने जंगल में उगते हैं. उनकी एक ख़ास गंध और सफ़ेद दाढ़ी होती है. वे अकेले दिखाई पड़ते हैं. यदि उनका कोई झुण्ड इकट्ठा किया जा सके और सुखाकर दरवाजे पर लटकाया जा सके तो हमें कुछ सुकून हासिल हो सकता है.
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Manoj Patel, parteparte, parhteparhte, padtepadte ज़्बीग्न्येव हेर्बेर्त
'शहज़ादी'... फ़र्श से धूल, मोम और खुदा जाने किस-किस चीज़ की गंध आती रहती है....क़सम खाई है.
ReplyDelete'शराबी'... यदि वे थोडा मज़बूत खोपड़ी और थोडा बेहतर रूचि वाले होते तो वे खगोलशास्त्री होते.
अंदाज़े-बयां क़ाबिलेतारीफ़ है.
बहुत बढ़िया...
ReplyDeleteशराबी -लाजवाब.
कमाल की कवितायेँ और कमाल का अनुवाद!
ReplyDeleteविद्या भूषण अरोरा
शराबी होना कोई बुरी बात नहीं है.......क्योंकि एक घूंट पीने के बाद...........यदि खोपड़ी वाला है, तो अंदर की बात जान जाता है.......मतलब खगोलशास्त्री होता है.....आज समझ में आया पीना कितनी अच्छी बात है .....यह बताने के लिए बहुत-बहुत आभार सर जी.....!!
ReplyDeleteशराबी होना कोई बुरी बात नहीं है.......क्योंकि एक घूंट पीने के बाद...........यदि खोपड़ी वाला है, तो अंदर की बात जान जाता है.......मतलब खगोलशास्त्री होता है.....आज समझ में आया पीना कितनी अच्छी बात है .....यह बताने के लिए बहुत-बहुत आभार सर जी.....!!
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