जिबिग्न्यु हर्बर्ट की एक और कविता...
चीजें : जिबिग्न्यु हर्बर्ट
(अनुवाद : मनोज पटेल)
बेजान चीजें हमेशा सही होती हैं और दुर्भाग्य से उन पर किसी बात का लांछन नहीं लगाया जा सकता. मैनें कभी किसी कुर्सी को एक पाए से दूसरे पाए पर अपना वजन खिसकाते, या किसी पलंग को पिछले पायों पर खड़ा नहीं देखा. और मेजें, थके होने के बाद भी अपने घुटने मोड़ने की हिम्मत नहीं करतीं. मुझे लगता है कि चीजें नसीहत देने के विचार से, हमारी अस्थिरता के लिए हमें धिक्कारते रहने के लिए ऐसा करती हैं.
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Manoj Patel, 9838599333, parte parte, parhte parhte, padte padte
adbhut.....kitni sach baat lag rahi hai....
ReplyDeleteसबका अपना चरित्र होता है... जानवर हो या बेजान वस्तुएं और वे उसी के अनुरूप आचरण करते हैं या एक तरह से वैसा ही आचरण करने को बाध्य होते हैं...; एक इंसान ही है जो इंसान होते हुए भी इंसान सा आचरण करने को बाध्य नहीं होता... प्रेरित नहीं होता... और यही सबसे बड़ी विडम्बना है...
ReplyDeleteसुन्दर कविता, सुन्दर संलग्न तस्वीर, सुन्दर अनुवाद और अगर सन्देश ग्रहण कर हम भी कुछ बदलें अपने आप को तो कितना सुन्दर हो!!!
वाह वाह....कमाल की पंक्तियाँ..
ReplyDeleteमनोज जी आपका कविताओं का चयन और अनुवाद दोनों लाजवाब है...
शुक्रिया...तहेदिल से.
चीज़ों और इंसानो में शायद यही एक बुनियादी फर्क़ है . चीज़ों की सक्रियता जडता की हद तक धीमी होती है. उन का रेस्पोंस, प्रतिक्रिया, प्रतिकार सब कुछ इतना मद्धम होता है कि हम नोटिस ही नही कर पाते..... और इसी वजह से वे विद्रोही नही होतीं..... जिस उपयोग के लिए बनाई गई हैं, वही भूमिका निभाती रहतीं हैं......जब तक कि खर्च नही हो जातीं.......
ReplyDeleteइस के विपरीत इंसान बेहद सक्रिय 9 ज़िन्दा) एंटिटी है. आप उसे सत से असत और वाईसे वरसा भी, ट्रेवेल करते हुए देख सकते हैं. उन का रिएक्शन और रेस्पोंस आप को चौंकाता है, झटके देता है.... वह यथास्थिति से विद्रोह कर सकता है.... और विरोध रत एंटिटी का ज़िन्दापन सुन्दर लगता है. वाईल्ड, मौलिक, ऑथेंटिक .... हम इंसानियत को उस के तमाम असत वृत्तियों के साथ अप्रशियेट करें.
चीजें स्थिर हैं... मन अस्थिर है, सचमुच बहुत सीखना है....
ReplyDeletebahut sundar baat
ReplyDeletebahut sunder .... aur satya bhi........
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