लैंग्स्टन ह्यूज की एक और कविता...
स्वर्ग : लैंग्स्टन ह्यूज
(अनुवाद : मनोज पटेल)
स्वर्ग
वह जगह है जहां
सर्वत्र
बिखरी होती है खुशी.
पशु और पक्षी
गाते हैं
और झूमती हैं
सारी चीजें.
किसी भी पत्थर से पूछो,
"कहो भाई, क्या हाल-चाल है?"
तो पत्थर जवाब देता है,
"बढ़िया! अपनी सुनाओ?"
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Manoj Patel, Tamsa Marg, Akbarpur, Ambedkarnagar, Phone 09838599333
वाह , स्वर्ग में पत्थरों को भी बढ़िया लगता है ,कमाल है ! अच्छी कविता का अच्छा अनुवाद ! बधाई मनोज जी !
ReplyDeleteस्वर्ग? कैसा प्यारा व्यंग्य है ! ...'पत्थर जवाब देता है/ बढ़िया अपनी सुनाओ?'
ReplyDeleteha ha .... swatantra patthar bol pate hain... vahan bhi. inhe jod kar ek mahal banao, goonga ho jayega.
ReplyDeletesawargik anand!wah wah!
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