Monday, January 30, 2012

राबर्टो जुअर्रोज़ : हर चीज कहीं और शुरू होती है

राबर्टो जुअर्रोज़ की एक और कविता... 

 
राबर्टो जुअर्रोज़ की कविता 
(अनुवाद : मनोज पटेल) 

हर चीज कहीं और शुरू होती है. 

यह महत्वपूर्ण नहीं कि कुछ चीजें 
अब भी मौजूद हैं यहाँ 
और यहीं ख़त्म भी हो जाएंगी : 
शुरू नहीं होता कुछ भी यहाँ. 

इसलिए यह शब्द, यह खामोशी, 
तुम्हारे पैरों की आहट, यह मेज, फूलदान  
सच कहा जाए तो कभी यहाँ थे ही नहीं. 

हर चीज हमेशा कहीं और होती है : 
वहीं, जहां उसकी शुरूआत होती है.  
                    :: :: :: 
Manoj Patel Blog 

5 comments:

  1. इस ख़ूबसूरत प्रस्तुति के लिए बधाई स्वीकार करें.
    कृपया मेरे ब्लॉग "meri kavitayen" पर भी पधारने का कष्ट करें, आभारी होऊंगा /

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  2. सचमुच किसी घटना का ,वस्तु का ,परिणाम का आरम्भ हम कहाँ देख पाते हैं ,जो वहाँ नहीं होता जहाँ वह है ! बहुत खूबसूरत कविता ! सुन्दर चयन,अनुवाद और प्रस्तुतीकरण के लिए बधाई !

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  3. सचमुच किसी घटना का ,वस्तु का ,परिणाम का आरम्भ हम कहाँ देख पाते हैं ,जो वहाँ नहीं होता जहाँ वह है ! बहुत खूबसूरत कविता ! सुन्दर चयन,अनुवाद और प्रस्तुतीकरण के लिए बधाई !

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  4. Bahut hi Sundar kavita hai. Manoj ji keep it burning.
    cheers

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