Tuesday, January 31, 2012

एक फिल्मकार की कविताएँ

प्रसिद्द ईरानी फिल्मकार अब्बास कियारोस्तामी की अनोखे चाक्षुष बिम्बों वाली कविताएँ आप इस ठिकाने पर पहले भी पढ़ते रहे हैं. आज कुछ और कविताएँ प्रस्तुत हैं... 


 
 अब्बास कियारोस्तामी की कविताएँ 
(अनुवाद : मनोज पटेल)

चिंघाड़ते हुए 
रुक जाती है ट्रेन. 

एक तितली सोई हुई है पटरी पर. 
:: :: :: 

दाएँ-बाएँ एक निगाह भी डाले बिना 
सड़क पार करता है 
एक सांप. 
:: :: :: 

हैरान है 
मधुमक्खी 
एक अनजाने फूल की खुशबू से. 
:: :: :: 

एक थके हुए गाँव में 
साल भर की फसल 
एक दिन में काटकर 
लाद दी जाती है एक लड़खड़ाते जानवर की पीठ पर. 
:: :: :: 
manojpatel01 

10 comments:

  1. एक तितली के लिए ट्रेन का रुक जाना उस कविता की याद दिलाता है जहां कवि घास पर पाँव नहीं रख पाता क्यूंकि उसे घास की धड़कन सुनाई देती है...(A walk by moonlight: Derozio)
    तितली की धड़कन सुन पाने की क्षमता रखने वाली गति दूर तलक जायेगी...!
    बेहद सुन्दर प्रस्तुति...
    हर कविता अपने आप में एक कहानी है... सामाजिक सन्दर्भों का सूक्ष्मता से विश्लेषण करती हुई...!
    आभार!

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  2. वाह.....!! म्नोज्भई-दिल खुश कर दिया ......बहुत शुक्रिया इस सेवा के लिए....

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  3. वाह ! बहुत सुंदर कवितायें अपने आप में पूरा जीवन समेटे...

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  4. चारों कवितायेँ अपने आप में बेहतरीन.......साभार......!!

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  5. Saal bhar kee fasal laad dee jaatee hai ek ladkhadaate..... Sahee.. - Reena Satin

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  6. बेहद गहन भाव और बिम्ब प्रयोग्।

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  7. बहुत सुंदर...

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