प्रसिद्द ईरानी फिल्मकार अब्बास कियारोस्तामी की अनोखे चाक्षुष बिम्बों वाली कविताएँ आप इस ठिकाने पर पहले भी पढ़ते रहे हैं. आज कुछ और कविताएँ प्रस्तुत हैं...
अब्बास कियारोस्तामी की कविताएँ
(अनुवाद : मनोज पटेल)
चिंघाड़ते हुए
रुक जाती है ट्रेन.
एक तितली सोई हुई है पटरी पर.
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दाएँ-बाएँ एक निगाह भी डाले बिना
सड़क पार करता है
एक सांप.
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हैरान है
मधुमक्खी
एक अनजाने फूल की खुशबू से.
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एक थके हुए गाँव में
साल भर की फसल
एक दिन में काटकर
लाद दी जाती है एक लड़खड़ाते जानवर की पीठ पर.
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manojpatel01
एक तितली के लिए ट्रेन का रुक जाना उस कविता की याद दिलाता है जहां कवि घास पर पाँव नहीं रख पाता क्यूंकि उसे घास की धड़कन सुनाई देती है...(A walk by moonlight: Derozio)
ReplyDeleteतितली की धड़कन सुन पाने की क्षमता रखने वाली गति दूर तलक जायेगी...!
बेहद सुन्दर प्रस्तुति...
हर कविता अपने आप में एक कहानी है... सामाजिक सन्दर्भों का सूक्ष्मता से विश्लेषण करती हुई...!
आभार!
वाह.....!! म्नोज्भई-दिल खुश कर दिया ......बहुत शुक्रिया इस सेवा के लिए....
ReplyDeleteवाह ! बहुत सुंदर कवितायें अपने आप में पूरा जीवन समेटे...
ReplyDeleteWaah... Sab ki sab Behtreen!
ReplyDeleteचारों कवितायेँ अपने आप में बेहतरीन.......साभार......!!
ReplyDeleteइस पोस्ट के लिए आपका बहुत बहुत आभार - आपकी पोस्ट को शामिल किया गया है 'ब्लॉग बुलेटिन' पर - पधारें - और डालें एक नज़र - थिस इज़ बेटर देन ओरिजिनल जी... - ब्लॉग बुलेटिन
ReplyDeleteSaal bhar kee fasal laad dee jaatee hai ek ladkhadaate..... Sahee.. - Reena Satin
ReplyDeleteबेहद गहन भाव और बिम्ब प्रयोग्।
ReplyDeleteबहुत सुंदर...
ReplyDeleteशानदार |
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