अहमद बरकत का जन्म १९६० में कैसाब्लांका में हुआ था. वे मोरक्को के एक अखबार के लिए काम करते थे. १९९४ में चौंतीस वर्ष की अल्पायु में उनका निधन हो गया. वे अपनी गद्य कविताओं के लिए जाने जाते हैं.
एक छोटी सी बात : अहमद बरकत
(अनुवाद : मनोज पटेल)
मैं बाज़ार जा रहा हूँ
इंतज़ार करना मेरे वापस आने तक
ऊब जाओ तो धो डालना अपने कपड़े
और अगर दरवाजा परेशान करे तुम्हें
उखाड़ देना उसे
और कोई भी चीज लगा देना उसकी जगह पर
आईने के भीतर न छोड़ देना अपना चेहरा
और फिर निकल जाना खिड़की से
खुदकुशी मत कर बैठना जैसी कि आदत है तुम्हारी
बल्कि
मेरा
इंतज़ार करना
मेरे
वापस आने तक.
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achhi kavita...
ReplyDeletesheshnath
आईने के भीतर न छोड़ देना अपना चेहरा ...इंतजार करना..... .तक...क्या बात है ?..लाजवाब ..!!
ReplyDeletebahut shandar kavita hai manoj bhai aapki nazar ki dad deni hogi aap kahan se chunkar late hain aisi kavitayen.aapke koshishon ko salam .
ReplyDeleteबेहतरीन...जी......शुक्रिया....
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