Wednesday, July 6, 2011

अडोनिस की तीन कविताएँ

अडोनिस : तीन कविताएँ...


चलो लौट चलें 
उन गलियों में जहां हम भटका करते थे 
जहां हमने दुनिया बसते देखा 
अपनी साँसों की झीलों में 
और वक़्त आया-जाया करता था टूटी हुई खिड़कियों से 

हम घूमते थे अपनी बर्बादी के खंडहरों में, अपनी नादानियों के आईने में 
बेजान कागज़ के शब्दकोषों में  
और कोई निशान नहीं छोड़ते थे हमारे क़दम  

चलो फिर से चलें 
अपने बेहतर दिनों के बगीचे में 
                    ~ ~ 

मैं तुम्हें प्यार न करता अगर एक बार नफरत न की होती तुमसे 
एक, बहुसंख्यक है उसके बदन में 

आह, कितना गहरा है प्यार अपनी नफरत में 
आह, कितनी गहरी है नफरत अपने प्यार में 
                    ~ ~ 

मैनें मापा खुद को अपने ख़यालों की स्त्री से 
बाहर निकला उसकी तलाश में 
मगर कुछ भी न मिला जिससे मिल सके उसका कोई सुराग -- 
कोई पुल नहीं था 
मेरी देंह और मेरे ख्वाब के बीच  

इस तरह मैं रहने लगा अपने ख़यालों में 
इस तरह दोस्त बन गए मैं और फ़रेब 
                    ~ ~ 
(अनुवाद : मनोज पटेल) 
अली अहमद सईद असबार अडोनिस  Ali Ahmad Said Esber Adonis Poems in Hindi Translation 

4 comments:

  1. निःसंदेह मानव-मन के अद्भुत चितेरे हैं ओडोनिस ! कमाल की कवितायेँ ! आभार मनोज जी !

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  2. हर दिन एक नयी शख्सियत से साक्षात्कार और हर दिन छोटे मन के विराट फेलाव से परिचय ....आप से जुड़ना सार्थक हुआ मनोज जी .

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  3. maanav man ke asankhya rahsyo me sabse rahsyamayi hai prem ... odonis rahsyo ko parat dar parat kholte hain. manoj aapko naman.

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  4. अच्‍छी पंक्तियां... उपलब्‍ध कराने के लिए आभार...

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