Wednesday, July 27, 2011

नाजिम हिकमत : ज़िंदगी तुम्हारे जैसी ही खूबसूरत होनी चाहिए

नाजिम हिकमत की 'रात 9 से 10 के बीच की कविताएँ' से कुछ और कविताएँ... 



रात 9 से 10 के बीच लिखी गई कविताएँ - 3 : नाजिम हिकमत 
(अनुवाद : मनोज पटेल)

(पत्नी पिराए के लिए)

2 अक्टूबर 1945 

हवा बह रही है.
चेरी की एक ही डाली दुबारा कभी नहीं हिलाई जा सकती 
उसी हवा द्वारा. 
चिड़िया चहचहा रहीं हैं पेड़ों पर :
                                        उड़ान भरना चाहते हैं पंख. 
दरवाजा बंद है : 
                                        वह टूटकर खुल जाना चाहता है.
मैं तुम्हें चाहता हूँ :
ज़िंदगी तुम्हारे जैसी ही खूबसूरत होनी चाहिए 
                                        दोस्ताना और प्यारी...  
मुझे पता है कि अभी तक ख़त्म नहीं हुआ है गरीबी का जश्न 
                                        मगर वह ख़त्म हो जाएगा... 
                    :: :: :: 

5 अक्टूबर 1945 

हम दोनों जानते हैं, मेरी जान, 
उन्होंने सिखाया है हमें :
          कैसे रहा जाए भूखा और बर्दाश्त की जाए ठण्ड,
          कैसे मर जाया जाए थकान से चूर होकर 
          और कैसे बिछड़ जाया जाए एक-दूजे से. 
अभी तक हमें मजबूर नहीं किया गया है किसी का क़त्ल करने के वास्ते 
और खुद क़त्ल होने की नियति से भी बचे हुए हैं हम. 

हम दोनों जानते हैं, मेरी जान, 
उन्हें सिखा सकते हैं हम : 
          कैसे लड़ा जाए अपने लोगों के लिए 
          और कैसे -- दिन ब दिन थोड़ा और बेहतर 
                            थोड़ा और डूबकर -- 
                                                 किया जाए प्यार...   
                    :: :: :: 

6 अक्टूबर 1945 

बादल गुजरते हैं ख़बरों से लदे, बोझिल. 
अपनी मुट्ठी में भींच लेता हूँ वह चिट्ठी जो आई नहीं अभी तक. 
तुम्हारी पलकों की नोक पर टंगा है मेरा दिल, 
          दुआ देता हुआ उस धरती को जो गुम होती जा रही है बहुत दूर. 
मैं जोर से पुकारना चाहता हूँ तुम्हारा नाम : "पिराए, 
                                                                            पिराए !"
                    :: :: :: 

12 comments:

  1. ''अपनी मुट्ठी में भींच लेता हूँ वह चिट्ठी जो आई नहीं अभी तक ''............................!!!!!!!! लाजवाब !!!

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  2. aseem bhavnaaye bhar jaati hain in kavitao ko padhkar man me. ati ati sundar.

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  3. आज के इस बेरुखी भरे समय को प्यार से भर देने वाली कविताएँ. जिंदगी की खूबसूरती की तुलना पत्नी के (आतंरिक) सौंदर्य से; बेमिसाल

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  4. तुम्हारी पलकों की नोंक पर टंगा है मेरा दिल...

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  5. Please provide links to the source document.

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  6. नाजिम हिकमत जी की इतनी खूबसूरत कविताएं पढवाने के लिए आभार...
    सादर,
    डोरोथी.

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  7. लाजवाब कवितायें ,नाजिम हिक़मत की !आभार मनोज जी !

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  8. हर बार आप इतनी लाज़बाब कविता चुनकर लाते है कि मन मंत्र -मुग्ध हो जाता....

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  9. beautiful picks! how do you get these ?!!!!!

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