वेरा पावलोवा की एक कविता...
वेरा पावलोवा की कविता
(अनुवाद : मनोज पटेल)
सिर्फ वह जिसने पिलाया है अपनी छाती का दूध
जान पाती है कितने सुन्दर हैं कान.
सिर्फ वह जिसने पिया है छाती का दूध
जान पाता है हंसली की सुन्दरता.
बनाने वाले ने सिर्फ इंसानों को
नवाजा है कानों की लौ से.
हंसली की वजह से
थोड़े चिड़ियों से लगने वाले इंसान
थपकियों में गुंथ कर
रात में उड़ जाते हैं उस जगह, जहाँ,
सबसे शानदार पालने पर झूलते हुए
रो रहा होता है बच्चा,
जहाँ हवा के तकिए पर
खिलौनों की तरह लेटे होते हैं सितारे.
और उनमें से कुछ बोलते भी हैं.
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हंसली : कालर बोन, Clavicle


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