अडोनिस की दो कविताएँ...
बीसवीं सदी के लिए एक आईना
एक बच्चे के चेहरे का रूप धरे कोई ताबूत,
एक किताब
किसी कौवे की आँतों के भीतर लिखी हुई,
एक जानवर लस्त-पस्त चलता कोई फूल लिए हुए,
एक पत्थर
किसी पागल के फेफड़ों के भीतर सांस लेता हुआ.
यही है.
यही तो है बीसवीं सदी.
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बादलों के लिए एक आईना
पंख
मगर मोम के बने
और बारिश नहीं है यह गिरता हुआ पानी
ये जहाज हैं जो खे कर ले जाएंगे हमारे आंसुओं को.
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अली अहमद सईद अस्बार अदोनिस Adonis

mere liye to yah ek vishisht blog hai....
ReplyDeleteशानदार कविता, सुंदर अनुवाद।
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जादुई चिकित्सा !
ब्लॉग समीक्षा की 23वीं कड़ी...।