Thursday, July 28, 2011

सर्गोन बोउलुस की दो कविताएँ


इराक़ी कवि सर्गोन बोउलुस की यह दो कविताएँ भी देखें... 


यह वह मालिक है जो..

यह 
वह मालिक है जो 
अमेरिका से आया है 
दज़ला 
और फ़रात नदियों 
का 
पानी पीने के लिए.

यह 
बहुत प्यासा मालिक है 
जो पी जाएगा 
हमारे कुओं का 
सारा तेल,
और 
जहरीला कर देगा 
हमारी सारी नदियों को.

यह 
बहुत भूखा मालिक है 
जो लील जाएगा 
हमारे 
बच्चों को,
हजारों हजार की 
तादाद में.

यह 
वह मालिक है जो 
आया है 
दज़ला 
और फ़रात नदियों से 
खून पीने के लिए.  
                 :: :: :: 

रोशनदान 

अगर तुम रोशनदान 
नहीं खोलोगे, कबूतर नहीं आएगा 
तुम्हारे कमरे में.
पानी नहीं जानता 
हालिया सूखे की 
वजहों को,
पानी की इफरात के 
तमाम सबूतों के बावजूद 
दरारें 
पड़ी हुई हैं 
पृथ्वी पर. 
खामोशी एक खोल है 
जो तब तक नहीं खोलेगी खुद को 
जब तक कि तुम्हें नहीं पता होगा 
गुलाब कैसे खिलता या मुरझाता है.
मेज पर एक कलम,
एक कापी जो लेखक की खोपड़ी में 
फड़फड़ाती और खुलती है 
किसी गीशा के पंखे की तरह; 
और कविता 
गुम हो सकती है 
अगर तुम नहीं पा जाते अदृश्य धागा. 
और किस्सागो 
शायद कभी न जान पाए 
क्या कुछ कह सकती है 
कहानी. 
                 :: :: :: 
(अनुवाद : मनोज पटेल)

2 comments:

  1. हमेशा की तरह अच्छा चयन...

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  2. दोनों कवितायें भीतर तक छू जाती हैं, आभार!

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