अफ़ज़ाल अहमद सैयद की एक कविता, 'लाग बुक'...
लाग बुक : अफ़ज़ाल अहमद सैयद 
(लिप्यंतरण : मनोज पटेल)
लाग बुक में लिखा है 
यह जहाज़ डूब चुका है 
जहाज़ डूब चुका है 
और समुन्दर ज़िंदा है 
और नमकीन 
और उन मछलियों से भरा हुआ है 
जिनको इस जहाज के डूबने का यकीन अभी नहीं आया 
लाग बुक में जहाज़ डूबने के इंदराज के बाद 
मेरे दस्तख़त हैं 
जिनकी स्याही मेरे हाथों में महफ़ूज़ है 
क्या इसी का नाम मौत है 
क्या यह किसी और जहाज़ की लाग बुक है 
क्या मैं किसी और जहाज़ का नाखुदा हूँ 
क्या तमाम लागबुकों में यही लिख दिया जाता है 
"यह जहाज़ डूब चुका है"
मगर यह जहाज़ डूब चुका है 
उसपर कोई मुसाफ़िर, कोई मल्लाह, कोई सामान नहीं है 
एक डूबे हुए जहाज़ को 
किसी बंदरगाह पर उतारने की ज़िम्मेदारी 
किसी भी नाखुदा पर आयद नहीं होती 
मैं इस जहाज को छोड़कर कहीं भी जा सकता हूँ 
और मरने से पहले 
यह जान सकता हूँ 
कि समुन्दर ज्यादा से ज्यादा कितना नमकीन हो सकता है 
                    :: :: :: 

जीवंत... बधाई...
ReplyDelete