Monday, January 9, 2012

पाब्लो नेरुदा : क्या पृथ्वी किसी झींगुर की तरह गाती है

पाब्लो नेरुदा की 'सवालों की किताब' से कुछ और सवाल...

 

कुछ सवाल - 2 : पाब्लो नेरुदा 
(अनुवाद : मनोज पटेल)

क्या ४ हमेशा ४ ही होता है सभी लोगों के लिए?
क्या बराबर होते हैं सारे ७? 

जब कैदी सोचते हैं रोशनी के बारे में 
क्या यह वही होती है जो रोशन करती है तुम्हारी दुनिया को? 

क्या कभी सोचा तुमने कि 
बीमार के लिए किस रंग की होती होगी अप्रैल? 

कौन सा पश्चिमी राज-तंत्र 
पोस्तों से बना लेता है अपना झंडा?
                    :: :: :: 

सूरज और संतरों के बीच 
मोटा-मोटी कितनी होगी दूरी? 

कौन जगाता होगा सूरज को 
जब वह सो जाता है अपने दहकते बिस्तर पर? 

क्या पृथ्वी किसी झींगुर की तरह गाती है 
स्वर्गलोक के संगीत में? 

क्या यह सच है कि उदासी गाढ़ी होती है 
और विषाद पतला? 
                    :: :: :: 
Manoj Patel, Blogger and Translator, Akbarpur, Ambedkarnagar, Phone : 098385993333 

7 comments:

  1. मनोज भाई, उद्भावना के नेरुदा विशेषांक में जो कविताएं पढ़ीं थीं, उनमें भी छोटी सवालनुमा कविताएं मुझे उनकी चर्चित प्रेम कविताओं से भी ज्यादा अच्छी लगी थीं। इस बार भी। शायद नेरुदा का यही चित्र उस विशेषांक का मुखपृष्ठ भी था।

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  2. जी हाँ धीरेश भाई, आदरणीय विष्णु खरे जी के सम्पादन में प्रकाशित उद्भावना का वह अंक मुझे भी याद है. मुझे भी नेरुदा की यह कविताएँ बहुत पसंद हैं. पिछले दिनों इन्हें अंग्रेजी अनुवाद में पढ़ा तो कुछ कविताएँ ब्लॉग के लिए अनुवाद कर डाली हैं. दो-तीन दिन पहले भी इन्हीं में से एक पोस्ट लगाई थी, चाहें तो देख सकते हैं.

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  3. manoj bhai
    mujhe neruda kee saari kavitaaye chahiye .. kahaan milengi , aur aapke paas ho to kya mujhe bijwa sakte hai ..

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  4. विजय भाई, नेरुदा की किताबें आप www.flipkart.com से मँगा सकते हैं.

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  5. उदासी गहरी होती है और विषाद उथला .

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