Tuesday, January 10, 2012

लैंग्स्टन ह्यूज : फ्लोरिडा सड़क मजदूर

लैंग्स्टन ह्यूज की एक और कविता...

 
फ्लोरिडा सड़क मजदूर : लैंग्स्टन ह्यूज 
(अनुवाद : मनोज पटेल)

अरे सुनो यार!
मेरी तरफ देखो!

एक सड़क बना रहा हूँ मैं 
कारों के सरपट दौड़ने के लिए, 
बना रहा हूँ एक सड़क 
झाड़-झंखाड़ के बीच से 
ज्ञान और सभ्यता के 
सफ़र के लिए. 

एक सड़क बना रहा हूँ मैं 
अपनी बड़ी-बड़ी कारों में 
अमीरों के फर्राटा भरने के लिए 
और मुझे यहीं खड़ा छोड़ जाने के वास्ते. 

यकीनन, 
सड़क तो मदद करती है सबकी. 
अमीर सवारी करते हैं अपनी मोटरों में -- 
और मैं देखने को पाता हूँ उन्हें सवारी करते. 
मैनें पहले कभी नहीं देखा किसी को 
इतने शानदार ढंग से सवारी करते. 

अरे यार, देखो तो!
एक सड़क बना रहा हूँ मैं! 
                    :: :: :: 
Manoj Patel, Blogger & Translator, Tamsa Marg, Akbarpur, Ambedkarnagar, 09838599333 

9 comments:

  1. अमीर सवारी करते हैं अपनी मोटरों में और मैं..वाह..सुंदर प्रस्तुति....!!

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  2. एक सड़क बना रहा है, और दूसरा उस पर गाड़ी चला रहा है. जो बना रहा है, वह खुश हो रहा है कि कोई और उसकी बनाई सड़क पर इतने शानदार ढंग से सवारी कर रहा है. उसके स्वर में दर्द के साथ-साथ एक और भाव है जो अपनी नियति से घनघोर शिकायत का नहीं है, फिर भी.

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  3. ये फरिश्ते हैं जो विकास की बुनियाद रखते हैं दूसरों के लिए । सड़क ही क्यों ये फरिश्ते सभ्यता को आकार दे कर लुप्त हो जाते हैं , बदले में पाते हैं आधा पेट भोजन ! सुन्दर कविता ! लेकिन क्या हमारी सभ्यता ने कोई उपाय खोजने की कोशिश की ?

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  4. बहुत ही उम्दा ..

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  5. ...........और मुझे यहीं खड़ा छोड़ जाने के वास्ते !
    एक टीस- सी है जो निर्माण करने वाले के मन में उसके फल से वंचित रह जाने पर उठती है ,जो एक झूठे संतोष पर टूट जाती है !
    अच्छी कविता का सहज और सुन्दर अनुवाद ! मनोज जी , आपको बहुत बहुत बधाई !

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  6. विकास की नीव रखने वाला आज भी वहीँ खड़ा है . हम अपने साथ उसे लेकर कब चलेगें ......................बहुत सुंदर प्रस्तुति .धन्यवाद

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  7. विकास की नीव रखने वाला आज भी वहीँ खड़ा है . हम अपने साथ उसे लेकर कब चलेगें ......................बहुत सुंदर प्रस्तुति .धन्यवाद

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  8. गहरा व्यंग्य है कविता में। मनोज जी को सन्दर अनुवाद के लिए बधाई।

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  9. manoj bhai aapki parkhi nazar vo dhoondh lati hai jiski hamare samaj ko asal me jarurt hoti hai.shandar kavita ka shandar anuvad.

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