यह कविता पढ़िए...
एक बेटे के जन्म पर : सू-तुंग पो
(अनुवाद : मनोज पटेल)
बच्चे के जन्म पर घर वाले
उम्मीद करते हैं कि अक्लमंद निकलेगा वह.
अक्लमंदी की बदौलत
अपनी पूरी ज़िंदगी बर्बाद करने के बाद
मैं सिर्फ यह उम्मीद करता हूँ कि
अनपढ़ और मूर्ख निकले वह बच्चा.
फिर सुख से रहेगा वह पूरी ज़िंदगी
और बन जाएगा कैबिनेट मंत्री.
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कितना प्यारा व्यंग्य है ! लगता ही नहीं कि विदेशी कविता है.
ReplyDeletewah kitana maujoon hai .
ReplyDeletewah kitana maujoon hai .
ReplyDeleteha ha ha
ReplyDeletesuper
इस पोस्ट के लिए आपका बहुत बहुत आभार - आपकी पोस्ट को शामिल किया गया है 'ब्लॉग बुलेटिन' पर - पधारें - और डालें एक नज़र - ज़िंदा रहना है तो चलते फिरते नज़र आओ - ब्लॉग बुलेटिन
ReplyDeleteसही है .... करारा व्यंग :)
ReplyDeleteहाहाहा. अपराधी होगा तो भी नेता बन सकता है.
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