चार्ल्स सिमिक की एक और कविता...
बंद गोभी : चार्ल्स सिमिक
(अनुवाद : मनोज पटेल)
वह काटने ही वाली थी
गोभी को दो हिस्सों में
मगर मैंने उसे फिर से सोचने पर मजबूर कर दिया
यह बताकर कि:
"बंद गोभी प्रतीक होती है रहस्यमय प्रेम की."
या कुछ ऐसा ही कहना था किसी चार्ल्स फूरियर का,
जिसने ऎसी ही तमाम अजब अनोखी बातें कहीं थी,
जिसकी वजह से लोग उसे पागल कहा करते थे उसके पीठ पीछे,
उसके बाद मैंने
बहुत आहिस्ता से चूम लिया उसकी गर्दन के पीछे,
उसके बाद उसने गोभी को काट दिया दो हिस्सों में
अपने चाकू के एक ही वार से.
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"उसके बाद उसने गोभी को काट दिया दो हिस्सों में " ...... और उसे रहस्यमय नहीं रहने दिया ! अच्छी कविता मनोज जी !सुंदर अनुवाद !
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