Sunday, May 20, 2012

ऊलाव हाउगे : मेरे पास तीन कविताएँ हैं

ऊलाव ह हाउगे की एक और कविता...  

 
मेरे पास तीन कविताएँ हैं : ऊलाव हाउगे 
(अनुवाद : मनोज पटेल) 

मेरे पास तीन कविताएँ हैं, 
उसने कहा. 
सोचो तो कविताएँ गिनने के बारे में. 
एमिली फेंक देती थी उन्हें 
एक संदूक में, मैं  
कल्पना नहीं कर सकता कि वह गिनती रही होगी उन्हें, 
वह तो बस फैला देती थी चाय का एक पैकेट 
और लिख देती थी एक नई कविता. 
ठीक भी था यह. एक अच्छी कविता से 
आनी चाहिए चाय की महक. 
या कच्ची मिट्टी की और ताजी चीरी गई जलाऊ लकड़ी की. 
                    :: :: :: 
एमिली : प्रसिद्द अमेरिकी कवियत्री एमिली डिकिन्सन (१० दिसंबर १८३० - १५ मई १८८६). उनके जीवनकाल में उनकी बहुत कम कविताएँ प्रकाशित हुई थीं. एमिली की मृत्यु के पश्चात उनकी छोटी बहन के माध्यम से उनकी कविताएँ प्रकाश में आईं, हालांकि एमिली ने अपनी बहन से अपने कागजातों को जला डालने का वादा करवा रखा था मगर एक ताला जड़े संदूक में बंद चालीस नोटबुक और कागजों पर लिखी कविताएँ बची रह गईं.  

5 comments:

  1. जो कविता आम जीवन-संदर्भों से जुड़ी होती है ,खास होती है ! सुंदर अनुवाद ! बधाई मनोज जी !

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  2. bahut sarthak anuvad hsi. sadhuvad
    santosh patel
    editor: bhojpuri jindagi. New Delhi

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  3. कविता से खुशबू तो आयेगी ही, दिल से जो लिखी गयी है.

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  4. ह्रदय छूती हुई कविता और सुंदर अनुवाद ...!
    शुभकामनायें ...!!

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  5. कविता से आनी चाहिये महक चाय की , कच्ची मिट्टी की , या ताज़ा चिरी हुई जलावन की .

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