Friday, May 25, 2012

धीरज

जैक एग्यूरो की एक और कविता...   


 






धीरज के लिए प्रार्थना : जैक एग्यूरो 
(अनुवाद : मनोज पटेल) 

प्रभु, 
जल्दी करो और धीरज बख्शो मुझे!
               :: :: :: 

3 comments:

  1. निशब्द हूँ...............

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  2. आह को चाहिए की याद दिलाने वाली पंक्ति .हमारे समय सीमित होता है. उसमें इंतजार करने का धैर्य अधिक नहीं होता.

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  3. वैपरीत्यों की एकता का सुंदर नमूना ! बधाई !

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