Monday, May 7, 2012

उनकी अनुपस्थिति से भर उठती हैं बाहें मेरी

कल फेसबुक पर 'सत्यमेव जयते' की चर्चा से इस कविता की याद आई . याद आया कि यह कविता मैंने इसी मार्च में दिल्ली के विश्व पुस्तक मेले में एक किताब में पढ़ी थी. मेरे लिए अनुवाद के उद्देश्य से मेले में उपलब्ध यह किताब इकलौती ऎसी किताब थी जिसकी वजह से मैं उसे 'विश्व' पुस्तक मेला कह सकता था. बहरहाल इजराइल के स्टाल पर उपलब्ध 'इंग्लिश पोएट्री फ्राम इजराइल' नामक यह किताब बिक्री के लिए नहीं थी. मेरे बार-बार आग्रह करने पर वहां मौजूद मोहतरमा ने मेरा फोन, ई-मेल वगैरह नोट कर मुझे आश्वासन दिया कि मुझसे कोई संपर्क करेगा. अभी तक किसी ने संपर्क तो नहीं किया है मगर मैंने किया यह था कि दो दिन थोड़ा समय देकर यह किताब न केवल पढ़ गया बल्कि कुछ अच्छी कविताएँ नोट भी कर लीं थी. फिलहाल आप यह कविता पढ़िए...











करेन अलकालय-गट की कविता 
(अनुवाद : मनोज पटेल) 

गर्भपात आपको कभी भूलने नहीं देते 
                                 -- ग्वेंडोलिन ब्रूक्स 

यह सच है, सामान्य बच्चों से भी ज्यादा समय तक 
अजन्मे बच्चे मंडराते रहते हैं  
उस माँ के आस-पास जिसने निकाल फेंका था उन्हें 
उनके कपड़े खींचते और चिरौरी करते 
कुछ खरीदे जाने के लिए, फिर से कुछ खाने के लिए 
गोद में उठाए जाने और दुलराए जाने के लिए. 
और कभी-कभी मैं पलटती हूँ अपने वालों की तरफ, 
इकट्ठा करती हूँ उन्हें, हताश हो जाती हूँ -- 
उनकी अनुपस्थिति से भर उठती हैं बाहें मेरी.  
                    :: :: :: 

14 comments:

  1. unupthit bachhon ki upasthiti ka ahsas man mein bana rahta hai.unki ahen aur badduayen shant nahin baithne deti.

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  2. मर्मस्पर्शी कविता है, धन्यवाद.

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  3. मर्मस्पर्शी कविता, धन्यवाद.

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  4. अदभुत....
    बेहद मार्मिक...........

    अनु

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  5. वाह! बहुत खूबसूरत अनुवाद। खासकर आखिरी पंक्ति बहुत मार्मिक..

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  6. खूबसूरत.....लेकिन मार्मिक...!!

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  7. behtareen !!! apki is lagan ko kahte hain dhun aur banaras me kahte hain 'keeda', in short, apko achhi kavitaon ka keeda ho gaya hai, dua karunga ki ye hamesha rahe aur ham aise hi nageene pate rahen. shukriya

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  8. Hope to read more of the poems you managed to note down.

    If I manage to trace this book somewhere here, will definitely get it for you!
    Regards,

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  9. ओह!

    ---उदय प्रकाश

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  10. अंतिम पंक्ति मेन कविता हो जाती है ! मार्मिक और प्रभावशाली कविता ! आभार !

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